8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

फरमान मियां: हिंदू-मुस्लिम नहीं इंसानियत ही मिशन, शिक्षा-चिकित्सा सेवा से बने ‘भारत गौरव रत्न’, जाने कौन है ये शख्सियत

मजहब से ऊपर उठकर समाजसेवा का संकल्प लेकर चलने वाले डॉ. फरमान हसन खान उर्फ फरमान मियां आज सामाजिक समर्पण का ऐसा उदाहरण बन गए हैं, जिनकी सराहना देश ही नहीं, विदेशों में भी हो रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले फरमान मियां को भारत सरकार के कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की ओर से भारत गौरव रत्न सम्मान से नवाजा गया है। उनका कहना है—“मदद के लिए कभी धर्म और जाति नहीं देखी जाती, सिर्फ इंसान देखा जाता है।”

2 min read
Google source verification

बरेली। मजहब से ऊपर उठकर समाजसेवा का संकल्प लेकर चलने वाले डॉ. फरमान हसन खान उर्फ फरमान मियां आज सामाजिक समर्पण का ऐसा उदाहरण बन गए हैं, जिनकी सराहना देश ही नहीं, विदेशों में भी हो रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले फरमान मियां को भारत सरकार के कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की ओर से भारत गौरव रत्न सम्मान से नवाजा गया है। उनका कहना है—“मदद के लिए कभी धर्म और जाति नहीं देखी जाती, सिर्फ इंसान देखा जाता है।”

तालीम और इलाज—दोनों ही मोर्चों पर बेमिसाल सेवा

फरमान मियां का मानना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य मानव जीवन की सबसे बड़ी जरूरतें हैं। उन्होंने अब तक 850 से ज्यादा बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा, कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई, नीट, यूपीएससी, और यूपी बोर्ड की कोचिंग मुफ्त में दिलाई है।
इनकी कोचिंग से 33 विद्यार्थी NEET में चयनित होकर डॉक्टर बन चुके हैं, जिनमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समाज के छात्र शामिल हैं। चयनित छात्रों में मोहम्मद रिजवान, उज्मा अंसारी, संजय गंगवार, शोएब रशीद, रिशु यादव, राजेंद्र कुमार, दिव्यांश कुमार, सीमा मौर्य, ज़ैद अली, ज़ैनुल खान, अब्दुल्ला जैसे नाम शामिल हैं, जो आज एम्स समेत देश के नामी मेडिकल संस्थानों में अध्ययनरत हैं।

1700 से ज्यादा मरीजों का मुफ्त इलाज, कैंसर पीड़ितों को मिला नया जीवन

स्वास्थ्य क्षेत्र में भी फरमान मियां की ‘आला हजरत ताजुश्शरिया वेलफेयर सोसाइटी’ ने नई मिसाल कायम की है। उनके प्रयासों से 1700 से अधिक जरूरतमंदों का नि:शुल्क ऑपरेशन कराया जा चुका है। इनमें कैंसर, बायपास सर्जरी, कूल्हे का ऑपरेशन, डायलिसिस जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज शामिल हैं।
हर सप्ताह महिला स्वास्थ्य और नेत्र शिविर आयोजित किए जाते हैं, जहां गंभीर मरीजों का इलाज मौके पर कराया जाता है। कोरोना काल में भी फरमान मियां और उनकी टीम ने अनेक संक्रमित मरीजों की मदद की, ऑक्सीजन से लेकर दवाइयों तक की व्यवस्था की।

सम्मानों की लंबी सूची में जुड़ा ‘भारत गौरव रत्न’

फरमान मियां को टीबी मुक्त भारत अभियान में अहम भूमिका के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से सम्मान मिला। राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला अधिकारों के लिए कार्य करने पर उन्हें सम्मानित किया।
मानवाधिकार आयोग ने भी उन्हें ह्यूमन राइट्स सेवा सम्मान दिया। हाल ही में उनके नाम पर प्रश्न यूपीएसएससी परीक्षा और यूपी पीसीएस करंट अफेयर्स में भी आया, जिससे उनकी लोकप्रियता और सेवा का सरकारी स्तर पर भी प्रमाण मिल गया।

शिक्षा में भी नजीर, हाईकोर्ट में वकील की है पहचान

डॉ. फरमान हसन खान ने स्नातक और कानून की पढ़ाई पूरी की है और हाईकोर्ट में पंजीकृत अधिवक्ता हैं। उन्हें भारत यूनिवर्सिटी, कर्नाटक ने मानद डॉक्टरेट (एजाज़ी सनद) भी प्रदान की है। वे काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती असजद रजा कादरी के दामाद हैं और बरेली स्थित दरगाह आला हजरत के 107 वर्षीय संगठन 'जमात रजा-ए-मुस्तफा' के राष्ट्रीय महासचिव हैं।


बड़ी खबरें

View All

बरेली

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग