बरेली। शहर में विज्ञापन करने के लिए नगर निगम ने जिस कंपनी को ठेका दिया था वह स्टांप चोरी के मामले में फंस गई है। कंपनी को केवल 100 रुपये के स्टांप पेपर पर 4.11 करोड़ के ठेका का अनुबंध किए जाने के मामले में जांच शुरू हो गई है। 16.44 लाख रुपये का स्टांप चोरी का मामले में कई अधिकारी, बाबुओं की गर्दन फंसती नजर आ रही है। नगरायुक्त निधि गुप्ता वत्स ने भी इस प्रकरण में जांच शुरू कर कार्रवई प्रक्रिया शुरू कर दी है।
कमिश्नर ने मामले में आख्या नगरायुक्त से मांगी
नगर निगम में विज्ञापन का टेंडर में स्टांप चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है। शहर में विज्ञापन करने के लिए नगर निगम ने मैसर्स एडटैक प्रिंट एंड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 2022 में ठेका दिया था। इसको लेकर पहले से ही विवाद है। नगर निगम द्वारा कंपनी के बीच विज्ञापन के संबंध में किए गए अनुबंध को लेकर सवाल उठे हैं। इस मामले की शिकायत शासन में हुई थी। वहां से शिकायत कमिश्नर सौम्या अग्रवाल तक पहुंची। आरोप था कि विज्ञापन विभाग में भ्रष्टाचार एवं मनमानी कर नियम के खिलाफ टेंडर कर 38 विज्ञापन एजेंसियों एवं उनसे जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों को बेरोजगार किया गया। कमिश्नर ने मामले में आख्या नगरायुक्त से मांगी। इसके अलावा सहायक महानिरीक्षक निबंधन को मामले की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। प्रकरण की जांच में यह साफ हो गया है कि विज्ञापन के टेंडर में स्टांप शुल्क में कमी है। 16.44 लाख रुपये की कमी पाई गई है। स्टांप चोरी करने में कहां-कहां गड़बड़ी हुई इस पर जांच हो रही है।
नगर निगम के अधिकारी भी सवालों के घेरे में
इस मामले में नगर निगम के अधिकारी भी सवालों के घेरे में हैं। सवाल है कि नगर निगम ने महज सौ रुपये के स्टांप पेपर पर अनुबंध क्यों किया। इससे पहले भी नगर निगम के अधिकारी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की दान की जमीन खरीद अनुबंध के मामले में भी फंसे थे, उन पर स्टांप शुल्क में चोरी का आरोप लगा था। नगरायुक्त निधि गुप्ता वत्स ने बताया कि विज्ञापन टेंडर प्रकरण में स्टांप मामले में संबंध अधिकारी से आख्या मांगी है। रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।