
बरेली। बारादरी क्षेत्र के जोगी नवादा इलाके में कांवड़ यात्रा और बारावफात के जुलूस को लेकर दो समुदायों के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव को प्रशासन ने शुक्रवार रात बातचीत के जरिये खत्म तो कर दिया, लेकिन अब इस समझौते को लेकर सियासी बयानबाज़ी शुरू हो गई है। ऑल इंडिया इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने एक पक्ष पर दबाव बनाकर जबरन सुलह कराई और धार्मिक स्थिरता को खतरे में डालते हुए एक नई परंपरा की शुरुआत कर दी।
शनिवार को आईएमसी के वरिष्ठ पदाधिकारी दामोदर पार्क में जुटे और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से सौंपा। इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी प्रथम के साथ आईएमसी नेताओं की तीखी बहस भी हुई। आईएमसी नेताओं ने चेताया कि “बरेली को संभल नहीं बनने देंगे, प्रशासन को अपनी भूमिका तय करनी होगी।
मौलाना तौकीर रजा खां ने कहा कि जोगी नवादा की जिस गली से पहले कभी कांवड़ यात्रा नहीं निकली, वहां अब प्रशासन की मिलीभगत से यात्रा निकालने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने इसे समाज की सौहार्दपूर्ण स्थिति के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह राज्य सरकार के उन दिशा-निर्देशों की खुली अवहेलना है जिसमें कहा गया था कि किसी भी पर्व पर नई धार्मिक परंपरा नहीं शुरू की जाएगी। आईएमसी पदाधिकारी डॉ. नफीस खां ने कहा कि इससे पहले भी इसी मार्ग से यात्रा निकालने की कोशिशें हुईं, लेकिन तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने सख्ती से रोक दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बार प्रशासन ने समुदाय विशेष के लोगों पर मुकदमे दर्ज कराने की धमकी देकर जबरदस्ती समझौता कराया है।
आईएमसी जिलाध्यक्ष शमशाद प्रधान, युवा जिलाध्यक्ष अलतमश और पार्षद अनीस सकलैनी ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित ज्ञापन में मांग की है कि विवादित मार्ग से कांवड़ यात्रा पर तत्काल रोक लगाई जाए और इस मामले में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाए। आईएमसी ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने समय रहते स्थिति का संज्ञान नहीं लिया, तो संगठन आंदोलन का रुख अपनाने से पीछे नहीं हटेगा।
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Published on:
05 Jul 2025 09:14 pm
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