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जानिए बरेली में दो घोड़ों को क्यों दी गई सजा ए मौत

बरेली के दो घड़ों में इस बीमारी की पुष्टि हुई थी।

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बरेली। घोड़ों में खतरनाक ग्लैंडर्स बीमारी पाए जाने के बाद पशु पालन विभाग में हड़कंप मचा हुआ। इस बीमारी से ग्रसित दो घोड़ों को पशु पालन विभाग द्वारा इंजेक्शन लगा कर मौत की नींद सुलाया जा चुका है। घोड़ों के मालिकों को जिला प्रशासन द्वारा 25-25 हजार रूपये का मुआवजा दिया जाएगा। पशु पालन विभाग के अपर निदेशक डा0 केपी सिंह नें बताया कि ग्लैण्डर्स अश्व की एक लाइलाज बीमारी है। घोड़ों के कारण मनुष्यों में भी इस बीमारी के फैलने का खतरा बढ गया है जो कि घातक है।

दो घोड़ों में हुई पुष्टि

बरेली मण्डल में गत वर्ष 2018-19 में 1037 रक्त के नमूने राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार में जाॅंच हेतु भेजे गये थे जिसमें से कुल 11 रक्त नमूनों में बीमारी की पुष्टि की गयी थी। पिछले महीने मण्डल के तीन जिलों बरेली, बदायूं और पीलीभीत से कुल 96 रक्त के नमूने जांच के लिए हिसार की प्रयोगशाला को भेजे गये थे जिसमे बरेली के दो घड़ों में इस बीमारी की पुष्टि हुई थी। जिन्हे मर्सी डेथ देकर मौत की नींद सुला दिया गया।

25 हजार का मिलता है मुआवजा

पशु पालन विभाग का कहना है कि बीमार पशु को तत्काल स्वास्थ्य परीक्षण कराएं और स्वस्थ पशुओं को बीमार पशु से अलग रखें और चारा पानी भी अलग करें। पशुपालकों को ऐसे बीमार पशु की देखभाल करते समय अपने परिवार की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशु में बीमारी की पुष्टि होने पर पशु पालन विभाग द्वारा घोड़े को इंजेक्शन लगा कर मर्सी डेथ दी जाती हैं और इसके लिए पशुपालक को विभाग द्वारा 25 हजार रूपये का मुआवजा भी दिया जाता है। घोड़े की मौत के बाद संक्रमित पशु को 8-10 फिट गहरे गडढे में चूना/नमक में डालकर दबा दिया जाता है।

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