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बरेली में बुखार का कहर जारी, अब तक 80 से ज्यादा की मौत

बरेली में बुखार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक मरने वालों की संख्या 80 से ज्यादा हो चुकी है।

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बरेली। जिले में बुखार से मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नही ले रहा है। बुखार से हो रही लगातार मौत से स्वास्थ्य महकमे में हड़कम्प मचा हुआ है। बुखार से अब तक जिले में 80 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े महज 10 लोगों की मौत बता रहे हैं। सीएमओ डॉक्टर विनीत शुक्ला ने गांव गांव डॉक्टरों की टीम भेज कर बीमार लोगों का इलाज कराना और उनको दवाइयां देना शुरू करवा दिया है। इसके साथ ही जिला अस्पताल में भी अतिरिक्त वार्ड बना दिए गए हैं जिसमें बुखार के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। हालांकि बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं जिसके कारण मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

ये कार्रवाई कर रहा महकमा
बरेली में इन दिनों बुखार का कहर इस कदर है कि अब तक सैकड़ों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। सीएमओ ने बताया कि लोगों को त्वरित इलाज मुहैया कराने के लिए 17 टीमें बनाई गई हैं जो गांव गांव जाकर मरीजों की जांच कर रही हैं। बुखार के रोगियों की संख्या में कमी आए, इसके लिए जगह जगह फॉगिंग भी कराई जा रही है और क्लोरीन की गोलियां देने के साथ ही साफ सफाई का भी ध्यान रखा जा रहा है। सीएमओ विनीत शुक्ला ने बताया कि इन दिनों वायरल फीवर, मलेरिया और टायफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ी है। उनका कहना है कि बारिश के मौसम में इस तरीके की बीमारियां अक्सर बढ़ जाती हैं इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि सभी लोग साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। सीएमओ विनीत शुक्ला का कहना है कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि पानी को उबालने के बाद ही पिया जाए। उन्होंने बताया कि अब तक 7507 मलेरिया ब्लड स्लाइड्स बनाई गई हैं जिसमें 65 मलेरिया रोगी पाए गए हैं। मुख्यालय टीमों के द्वारा 21 ग्रामों में 1683 रोगियों को उपचारित किया गया है।

झोलाछाप के सहारे मरीज
सीएमओ की मानें तो उनके संज्ञान में 10 लोगों की मौत आई है। बाकी जिन लोगों की मृत्यु हुई है वो इलाज के लिए जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में गए ही नहीं। अब विभाग डेथ आॅडिट करा कर मौतों की जानकारी जुटाएगा। बीमार पड़ने पर लोग सरकारी अस्पताल में इलाज न करा कर झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को इन डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।


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