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…और डिजिटल अरेस्ट हो गए बरेली कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर, ठगों की चाल पर प्रोफेसर की पत्नी ने किया कुछ ऐसा बच गया पैसा, जाने

साइबर ठगों ने सोमवार सुबह बरेली कॉलेज के कॉमर्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजीव मेहरोत्रा को 'डिजिटल अरेस्ट' का झांसा देकर ठगी का शिकार बनाने की कोशिश की। तकरीबन आधे घंटे तक फोन पर धमकी और डर का माहौल बनाकर प्रोफेसर से पैसे ऐंठने की साजिश रची गई। गनीमत रही कि उनकी पत्नी की सतर्कता के चलते समय रहते कॉल काट दी गई और प्रोफेसर किसी भी आर्थिक नुकसान से बच गए। पीड़ित ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

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रिटायर्ड प्रोफेसर और उनकी पत्नी (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बरेली। साइबर ठगों ने सोमवार सुबह बरेली कॉलेज के कॉमर्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजीव मेहरोत्रा को 'डिजिटल अरेस्ट' का झांसा देकर ठगी का शिकार बनाने की कोशिश की। तकरीबन आधे घंटे तक फोन पर धमकी और डर का माहौल बनाकर प्रोफेसर से पैसे ऐंठने की साजिश रची गई। गनीमत रही कि उनकी पत्नी की सतर्कता के चलते समय रहते कॉल काट दी गई और प्रोफेसर किसी भी आर्थिक नुकसान से बच गए। पीड़ित ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे प्रोफेसर मेहरोत्रा के मोबाइल पर अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉल रिसीव करते ही एक ऑटोमेटेड वॉइस सुनाई दी जिसमें कहा गया कि आपका नंबर दो घंटे में ट्राई द्वारा ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसके बाद एक महिला ने खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए बातचीत शुरू की। उसने दावा किया कि प्रोफेसर के नाम से आधार कार्ड पर 4 अक्टूबर को एक सिम जारी हुआ है जिससे अवैध गतिविधियां की जा रही हैं।

महाराष्ट्र पुलिस और सीबीआई के नाम पर डराया

बातचीत को गंभीर रूप देने के लिए कॉलर ने एक अन्य व्यक्ति अजय को वरिष्ठ अधिकारी बताकर कॉल ट्रांसफर कर दिया। उसने महाराष्ट्र के कोलाबा थाने का हवाला देते हुए प्रोफेसर से कथित इंस्पेक्टर से बात कराई। इस दौरान करीब एक घंटे तक फोन पर धमकियां दी गईं कि आपके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर अपराध में केस दर्ज हो चुका है और पुलिस की टीम आधे घंटे में आपके घर पहुंच रही है। इसी दौरान प्रोफेसर को एक फर्जी पत्र भेजा गया जिसमें सीबीआई का लोगो लगा था और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग व ठगी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। पत्र देखकर प्रोफेसर और अधिक घबरा गए।

पत्नी की सतर्कता से बची बड़ी ठगी

उनकी पत्नी ने कॉल की भाषा और दबाव भांपते हुए तत्काल फोन कटवा दिया। फोन कटते ही प्रोफेसर को एहसास हुआ कि वे साइबर ठगों के जाल में फंसने वाले थे। उन्होंने तत्काल साइबर क्राइम थाने जाकर लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कॉल करने वालों की लोकेशन व नंबर को ट्रैक किया जा रहा है। साइबर सेल के प्रभारी ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अज्ञात कॉल पर व्यक्तिगत जानकारी न साझा करें। कोई भी सरकारी एजेंसी कभी भी फोन पर इस प्रकार की धमकी नहीं देती। ऐसे किसी भी संदिग्ध कॉल की तुरंत सूचना नजदीकी थाने या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें।


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