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Sawan 2019: जानिए बरेली को क्यों कहते हैं नाथ नगरी

नाथ नगरी के प्रसिद्ध देवालयों की विशेषता यह भी है की यहाँ पूजा अर्चना और परिक्रमा करने वाले भक्तों को दोहरा पुण्य लाभ मिलता है।

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Sawan 2019 Bareilly also known as Nath Nagari

Sawan 2019: जानिए बरेली को क्यों कहते हैं नाथ नगरी

बरेली। सावन sawan 2019 का पवित्र माह आज से शुरू हो गया है। इस माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। सावन माह में बरेली का नजारा अलग ही देखने को मिलता है। चारों और से देवालयों से घिरी बरेली नगरी को नाथ नगरी भी कहा जाता है। इस शहर की सभी दिशाओं में प्राचीन पवित्र नाथ मंदिर है। इन मंदिरों को नगर की सुरक्षा चौकियां भी कहा जाता है। मान्यता है कि ये प्राचीन देवालय नगर की हर प्राकृतिक आपदाओं से नगर की रक्षा करते है। नाथ नगरी के प्रसिद्ध देवालयों की विशेषता यह भी है की यहाँ पूजा अर्चना और परिक्रमा करने वाले भक्तों को दोहरा पुण्य लाभ मिलता है। यहाँ पर पूजा पाठ से भक्तों की व्यक्तिगत मनोकामना तो पूर्ण होती है साथ ही उसे जनमानस की कामना का फल भी स्वतः प्राप्त होता है।

बनखंडी नाथ मंदिर

जोगीनवादा इलाके में स्थित बनखंडी नाथ मंदिर पूरब दिशा में बना हुआ है। महारानी द्रोपदी ने अपने गुरु के आदेश पर यहाँ पर शिवलिंग स्थापित कर तप किया था। सघन वन ने होने के कारण इस देवालय का नाम बनखंडिनाथ मंदिर पड़ा।

मढ़ीनाथ मंदिर

मढ़ीनाथ मोहल्ले में बना मढ़ीनाथ मंदिर नगर की पश्चिम दिशा में बना हुआ है। एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहाँ पर कुआँ खुदवाना शुरू किया तभी यहाँ शिवलिंग प्रकट हुआ जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा हुआ था इसी कारण दिव्य स्थान का नाम मढ़ीनाथ पड़ा।

त्रिवटीनाथ मंदिर

प्रेमनगर इलाके में स्थित त्रिवटीनाथ मंदिर नगर की उत्तर दिशा में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 1474 ईस्वी में मानी जाती है। इस स्थान पर तीन वृक्षों के नीचे सो रहे चरवाह को स्वप्न आया जिसके बाद जब यहाँ खुदाई की गई तो त्रिवट के नीचे शिवलिंग प्रकट हुआ तीन वृक्षों के नीचे होने के कारण इस मंदिर नाम त्रिवटीनाथ मंदिर पड़ा।

तपेश्वरनाथ मंदिर

नगर की दक्षिण दिशा में सुभाषनगर में स्थित तपेश्वरनाथ मंदिर ऋषि मुनियों की तपोस्थली रहा है। कई साधू संतों ने यहाँ तपस्या कर इस देवालय को सिद्ध किया है। इसी कारण ये स्थान तपेश्वरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

धोपेश्वरनाथ मंदिर

नगर की पूर्व दक्षिण अग्निकोण में धोपेश्वरनाथ मंदिर स्थित है। इस मंदिर को महाराजा द्रोपद के गुरु एवं अत्रि ऋषि के शिष्य धूम्र ऋषि ने कठोर तप कर सिद्ध किया। उनकी समाधि पर ही शिवलिंग की स्थापना हुई। उन्ही के नाम पर इस देवालय का नाम धूमेश्वरनाथ पड़ा जो बाद में धोपेश्वरनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

अलखनाथ मंदिर

नगर के वायव्य कोण पर किला इलाके में अलखनाथ मंदिर स्थित है। सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए और हिन्दुओं के जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए आनंद अखाड़े के अलखिया बाबा ने इस स्थान पर कठोर तप कर शिव भक्ति की ऐसी अलख जगाई कि मुस्लिम कटटरपंथियों को उनके आगे घुटने टेकने पड़े और इस मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर पड़ा।


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