
शिवपाल ने कर दिया कुछ ऐसा कि यहाँ अखिलेश के सामने यादवों को साधना सबसे बड़ी चुनौती
बरेली। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले बरेली की समाजवादी पार्टी में घमासान मचा हुआ है। जिला और महानगर कार्यकारिणी भंग होने के बाद अब नेता जिलाध्यक्ष बनने के लिए जुगाड़ में जुटे हुए है। इन सबके बीच अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती यादवों को पार्टी से जोड़े रखने की है। अगर यादव मतदाता सपा का साथ छोड़ गए तो समजवादी पार्टी के लोकसभा की दोनों सीट पर पर मुश्किल बढ़ जाएगी। ऐसे में किसी गैर यादव को जिलाध्यक्ष बनाना सपा के लिए आसान काम नहीं है। शुभलेश यादव जिलाध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अब जिलाध्यक्ष पद के लिए नेता की तलाश शुरू हो गई है। जिलाध्यक्ष के लिए भगवतशरण गंगवार का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। पार्टी सूत्रों की माने तो कोई यादव ही सपा का नया जिलाध्यक्ष होगा।
ये होगी चुनौती
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव समाजवादी छोड़ कर शिवपाल यादव के साथ जा चुके है। वीरपाल यादव आंवला लोकसभा से चुनाव मैदान में उतरेंगे तो वही डीपी यादव की पत्नी उर्मिलेश यादव बदायूं से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। आंवला लोकसभा में तीन सीट बिथरी चैनपुर, आंवला और फरीदपुर बरेली जिले की है जबकि शेखूपुर और दातागंज विधानसभा बदायूं जिले का हिस्सा है और इस लोकसभा में यादव मतदाता किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकते है।
यादव हो सकता है नया जिलाध्यक्ष
शिवपाल सिंह यादव, वीरपाल सिंह यादव, डीपी यादव को लेकर यादव मतदाता समाजवादी पार्टी से बिदक सकता है। ऐसे में अखिलेश ने अगर किसी गैर यादव को जिलाध्यक्ष बनाया तो यह आग में घी डालने जैसा होगा। इस हिसाब से सपा का नया जिलाध्यक्ष कोई यादव हो सकता है। पूर्व विधायक महिपाल सिंह यादव का नाम तो दौड़ में है ही वहीं जिला पंचायत सदस्य सत्येंद्र यादव का नाम भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में खामोशी से आगे बढ़ रहा है। वही सपा के कुछ नेताओं का मानना है कि शुभलेश यादव की ही एक बार फिर वापसी हो सकती है। अभी शुभलेश यादव को अखिलेश यादव ने उत्तराखंड में हो रहे निकाय चुनाव में नैनीताल और अल्मोड़ा का प्रभारी बनाया है।
Updated on:
27 Oct 2018 05:11 pm
Published on:
27 Oct 2018 05:10 pm
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