सवा तीन करोड़ का अंडरपास, पहली बारिश में फेल
अंडरपास में तीन फीट तक भर गया पानी
बाड़मेर. सवा तीन करोड़ रुपए की लागत से बना गांधीनगर-शास्त्रीनगर अंडरपास पहली बारिश में ही फेल हो गया। शहर में दो दिन तक हुई मात्र 73 एमएम बारिश में ही अंडरपास तीन-तीन फीट पानी से भर गया, जिससे यातायात अवरुद्ध हो गया। पानी के भराव से उत्पन्न खतरे को देखते हुए शनिवार रात बैरियर लगाकर अंडरपास को बंद करना पड़ा। यहां ठहरे पानी की निकासी के लिए पंप लगाने पड़े। रविवार सुबह दस बजे के बाद यहां पर हालात सामान्य हुए और यातायात सुचारू हुआ।
रेलवे पटरी के पूर्वी हिस्से में आबाद गांधीनगर, शास्त्रीनगर कॉलोनी सहित करीब आधा कॉलोनी का पुराने शहर से जुड़ाव गांधीनगर-शास्त्रीनगर रेलवे क्रॉसिंग के जरिए था, जो रेलों के शंटिंग के दौरान कई घंटे रेलवे फाटक बंद होने के कारण असुविधाजनक हो गया था। इस असुविधा से निजात पाने के लिए फाटक से 200 मीटर की दूरी पर गत वर्ष अंडरपास बनाया गया। अंडरपास बनने के बाद रेलवे ने पुराना क्रॉसिंग पूरी तरह से बंद कर दिया। अंडरपास निर्माण के बाद ठीक ठाक पहली बारिश शुक्रवार व शनिवार को हुई। पहली बारिश की परीक्षा में अंडरपास पूरी तरह फेल हो गया। पानी की निकासी नहीं हो पाने के कारण पूरा अंडरपास करीब पचास मीटर की दूरी तक बरसाती पानी से लबालब हो गया।
चार किलोमीटर का चक्कर
अंडरपास की राह बाधित होने के कारण वाहन चालकों को शहर में आने के लिए चार किलोमीटर लम्बा चक्कर लगाकर नेहरूनगर फाटक व ओवरब्रिज के रास्ते शहर में आना पड़ा। शनिवार रात अंडरपास को बंद कर पानी की निकासी की गई। हालांकि शनिवार रात को ही बारिश रुक गई थी। इसलिए रविवार सुबह दस बजे तक पानी की निकासी कर दी गई और इस रास्ते से पुन: यातायात शुरू हो गया।
आए दिन भुगतते है राहगीर
अंडरपास की डिजाइन इस तरह है कि शहर के अंदर से अंडरपास में घुसते ही ढलान शुरू होती है, जो रेलवे पटरी के नीचे जाकर खत्म होकर वापस ऊंचाई पकड़ते हुए गांधीनगर-शास्त्रीनगर की तरफ बाहर निकलती है। एक तरह से दोनों तरफ की ढलान पटरी के नीचे जीरो बिंदू पर आकर खत्म होती है। जीरो बिंदू पर ही नाले का प्वाइंट है, जो सामान्य दिनों में भी ओवरफ्लो होता है। इससे पैदल राहगीर यहां से नहीं निकल पाते। बरसात में हालत और खराब हो जाती है।