केस संख्या दो- भिंयाड़ निवासी डूंगरसिंह सूरत में कार्य करते थे। कोरोना काल में गांव आए तो खेतीबाड़ी करने व यहीं बसने का मन बना लिया। करीब बीस दिन पहले उन्होंने पुश्तैनी खेत में ट्यूबवैल खुदवाया। उनके अनुसार अब वे खेतीबाड़ी करेंगे वापस सूरत नहीं जाएंगे।
केस संख्या तीन- चौहटन, धनाऊ व सेड़वा क्षेत्र में करीब चालीस हजार प्रवासी पहुंचे। इनमें से मात्र तीस फीसदी ही वापिस गए हैं, शेष गांवों में ही रहकर खेतीबाड़ी कर रहे हैं। हालांकि बारिश नहीं होने से बुवाई नहीं हुई है, लेकिन खेती करने मन उनका बन चुका है।
केस संख्या चार- धारवी निवासी कोजराजङ्क्षसह मुम्बई में लकड़ी की कारीगरी का काम करते थे। कोरोना के बाद गांव आ गए और अब वापस जाने के बजाय खेती करने का मन बना चुके हैं। उनके अनुसार महानगर में महामारी का प्रकोप है एेसे में गांवों में सुरक्षित है और खुद का खेत होने से रोजगार की समस्या भी नहीं है।
लिया गरीब कल्याण रोजगार प्रशिक्षण- जिले में आए प्रवासी लोगों में से १०५ ने हाल ही में खेती में रोजगार के अवसर तलाशने को लेकर गरीब कल्याण रोजगार प्रशिक्षण प्राप्त किया है। एेसे में यह संभावना है कि आने वाले दिनों में ये लोग यहीं रहकर खेतीबाड़ी करेंगे।
नहीं जाना चाहते बाहर- बॉर्डर सहित जिले के गांवों में अधिकांश प्रवासी अब दिवाली तक घरों में ही रहना चाहते हैं। यहां रोजगार को लेकर वे खेतीबाड़ी कर रहे हैं। जिनके पास खेत नहीं है, वे अन्य खेतों पर मजदूरी कर रहे हैं। इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा तो पलायन भी रुकेगा।- भोमसिंह बलाई, युवा
प्रवासी जुटे खेती में- शिव के अधिकांश गांवों में प्रवासी खेतीबाड़ी में जुटे हुए हैं। कोरोना के चलते प्रवासी गांवों में रहकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इससे उनको रोजगार मिल रहा है तो कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा।- गेमरसिंह, पूर्व सरपंच चोचरा
कृषि उत्पादन व क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की संभावना- हजारों की तादाद में आए प्रवासी अब गांव में रोजगार की तलाश कर रहे हैं। खेती उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। वैसे भी बाड़मेर में बागवानी, सिंचित खेती बढ़ रही है। इस पर उम्मीद है कि इस बार कृषि क्षेत्रफल प्रवासी मजदूरों के चलते बढ़ेगा तो कृषि उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी