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बाड़मेर की बेपरवाही से गांवों में पसरी बेरोजगारी

- दिहाड़ी मजदूरों की रोजी-रोटी पर आया संकट- सार्वजनिक आवागमन के साधन बंद होने से नहीं पहुंच पा रहे बाड़मेर- लॉकडाउन के कारण मजदूरी छीनीफैक्ट फाइल- तीन- चार हजार मजदूर आते हैं बाड़मेर- कमठा मजदूरी के साथ अन्य जगह मिलता कार्य, चलता घर का चूल्हा-चौका- सात दिन का लॉकडाउन होने शहरवासी यहां लॉक, मजदूर गांवों में कैद

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बाड़मेर की बेपरवाही से गांवों में पसरी बेरोजगारी

बाड़मेर की बेपरवाही से गांवों में पसरी बेरोजगारी



दिलीप दवे
बाड़मेर. बाड़मेर शहरवासियों की कोरोना को लेकर बेपरवाही थारनगरी को ही नहीं आसपास के बाशिंदों को भी भारी पड़ रही है। एक और जहां शहर लॉक हो गया है तो गांववालों की यहां आवाजाही पर भी रोक लगने से मजदूरों गांवों में कैद हो कर रह गए हैं। करीब चार हजार दिहाड़ी मजदूरों को फिर से रोजगार गंवाने का दंश भुगतना पड़ रहा है। ये लोग सुबह गांवों से निकल कर बाड़मेर आते और कमठा मजदूरी कर दो रुपए कमा घर जाते थे, जो अब ठाले हो गए हैं।
बाड़मेर शहर शायद अनलॉकडाउन में प्रदेश का पहला शहर होगा जो पूरा लॉकडाउन हो गया है। यहां पिछले कुछ दिनों से बढ़ते कोरोना केस के बाद जिला प्रशासन ने रविवार से यह कदम उठाया। लॉकडाउन लगने से शहर तो प्रभावित हुआ ही आसपास के गांवों में रोजगार का संकट पैदा हो गया। इन गांवों से प्रतिदिन हजारों मजदूर निजी व प्राइवेट बसों, छोटे वाहनों से बाड़मेर आते हैं। वे यहां छोटा-मोटा रोजगार प्राप्त करते हैं। अब लॉकडाउन के चलते बाड़मेर आवागमन पर रोक लग गई है, ऐसे में इनका रोजगार छीन गया है।
दूसरों की सजा गरीब मजदूरो को- बाड़मेर शहर में पिछले कुछ दिन से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। लोगों के सोशल डिस्टेंस की पालना नहीं करने व कोरोना को लेकर सावधानी नहीं बरतने पर यह स्थिति बनी। इसकी सजा उन गरीब मजदूरों को भुगतनी पड़ रही है जो कोरोना काल में पहले ही दो-ढाई माह बेरोजगार का दंश सह चुके हैं।
यहां रहता था मजमा, आज सन्नाटा- बाड़मेर के चौहटन फाटक, सिणधरी चौराहा, राय कॉलोनी मुख्य रोड, गडरा चौहारा आदि कई स्थानों पर मजदूरों का जमावड़ा रहता था। सुबह आठ से दस बजे के बीच यहां भीड़ रहती थी और लोग भी मजदूरों को लेने आते थे, लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
खेतों में नहीं काम- अभी बारिश का दौर शुरू हुआ है, लेकिन बाड़मेर जिले में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। ऐेसे में खेतों में भी बोई गई फसलों को संजीवनी का इंतजार है तो किसान भी अच्छी बारिश के बाद बुवाई करना चाहते है। ऐसे में खेतों में काम नहीं मिल रहा।
फिर से घरों में कैद- फिर से घरों में कैद हो गए हैं। गांवों से आवागमन बंद है तो शहर में भी लॉकडाउन के चलते काम पर रोक लग गई है। बेरोजगार हो गए हैं।- हासमखां दिहाड़ी मजदूर, देरासर
काम प्रभावित हुआ- काम तो प्रभावित हुआ है। कमठा मजदूरी पर इसका असर पड़ रहा है। मजदूर शहर में आ नहीं सकते तो लोग भी काम शुरू करवाने से कतरा रहे हैं।- बी.एस., ठेकेदार


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