
Barmer said- Problems on Pag-Pag, resolve resolution will do
बाड़मेर बोला- पग-पग पर समस्या, संकल्प लो समाधान करोगे
बाड़मेर . मैं बाड़मेर शहर हूं। 1952 से लगातार चुनाव देख रहा हूं और अपना विकास भी। वादे जितने मुझसे किए उतना विकास कहां? मैं बढ़ रहा हूं,लेकिन बेतरतीब। यात्रा पहाडि़यों से शुरू करते हैं। सूजेश्वर से लेकर कारेली नाडी तक। तीन तालाब और पहाड़ों का पूरा इलाका और उसमें आस्था के केन्द्र मंदिर। इतने इलाके को पार्क, वॉक ट्रेङ्क्षकग और अन्य सुविधाओं से जोड़ा जाए तो शहर की पचास हजार से अधिक आबादी को सुबह-शाम सैर सपाटे को जगह नहीं तलाशनी पड़े, लेकिन आज तक किसी ने इस पर बड़ा काम नहीं किया। कारेली पर पिछले दिनों हुए श्रमदान बाद यह साबित भी हुआ कि दृढ़ इच्छा शक्ति हों तो काम होता है। श्मशानघाट का कायाकल्प उदाहरण है। यहां से चौहटन फाटक है, यहां ओवरब्रिज का निर्माण अब जरूरी हो गया है। अम्बेडकर और महावीर सर्कल का भी कायाकल्प होना चाहिए।
शहर के भीतरी अङ्क्षहसा चौराहे तक बनने वाला गौरव पथ अब सीमेंटेड तो बने ही साथ ही खूबसूरत भी दिखना चाहिए। रेलवे स्टेशन के सामने से लेकर लक्ष्मी सिनेमा तक सीवरेज की गंदगी ने जीना मुहाल कर दिया है, इसका समाधान नहीं होना मेरे लिए शर्मसार रहा है, इसका संकल्प तो अब लेने की जरूरत है। भेलीराम की सराय से किसान छात्रावास तक भी हालात सुधार मांग रहे हैं। अब आगे बढ़ें तो अस्पताल के सामने ओवरब्रिज बन गया, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटे। सांकड़ी गळी और मारकणी गाय की समस्या यहां है। आवारा पशुओं को शहर से हटाएं और अतिक्रमण भी। इन्द्राकॉलोनी, इन्द्रानगर सहित कई कॉलोनियों में नाली, सड़क व सफाई की समस्या का समाधान भी जरूरी है। महावीर पार्क देखिए, शहर का एकमात्र पार्क है, छोटा भी पड़ रहा है। इसको तो ठीक किया ही जाए साथ ही इसका विकल्प भी तलाशें।
आगे आदर्श स्टेडियम की जो कल्पना पहले की गई थी वैसा विकास नहीं हुआ। यहां प्रतिदिन 500 से अधिक लोग व्यायाम व भ्रमण को आते हंै। महावीर नगर आगे पॉश कॉलोनी है, लेकिन इस इलाके में साफ सफाई को लेकर लोगों की शिकायतों का निवारण नहीं हुआ। यहां बना पार्क भी दुर्दशा के आंसू बहा रहा है। आगे शहर का विकास बेतरतीब हुआ है। बलदेव नगर से लेकर पूरा बड़ा इलाका मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। अब यहां यूआइटी के हिसाब से प्लानिंग की जरूरत है। सिणधरी चौराहे के हाल तो सुधार का नाम ही नहीं ले रहे। ओवरब्रिज से हाइवे का ट्राफिक तो सुगम हो गया, लेकिन शहर के लोगों का क्या? संकरी सड़क पर जाम में फंसे आदमी को निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। थोड़ा आगे चामुण्डा चौराहा की समस्या का समाधान इतने सालों से नहीं होना व्यवस्था की नाक कटवा रहा है। जिसने भी गलती की लोग क्यों भुगतें? इसी रास्ते से आगे चले तो रेलवे के पास उगी झाडि़यां और गंदगी हटे तो आसपास की कॉलोनियों को सुकून मिले। दरअसल पांच किलोमीटर के शहर में पग-पग पर समस्याएं हैं, बस चुनाव आया है तो मैं भी बोल पड़ा...असर तो तब पड़ेगा जब अब आने वाले प्रत्याशी संकल्प लें कि हम इस पर ध्यान देंगे।
Published on:
29 Nov 2018 09:15 am
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