
China needs military like Colonel Hanoot to answer
बाड़मेर.
चीन और पाकिस्तान के तनाव के समय में याद आती है रेगिस्तान के छोटे से गांव जसोल के उस फौजी की जो पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट पर कहर बनकर टूट पड़ा था। पाकिस्तान के 48 टैंक को नस्तेनाबूद कर डर बन गया और पाकिस्तानी फौज यह चिल्लाते हुए पीछे हट गई कि भागो, कर्नल हणूत आ गया है, भागो। भारतीय फौज को चीन के साथ जवाब देने के लिए ऐसे ही फौजी कमांडर की जरूरत है।
6 जुलाई 1933 को रेगिस्तान के छोटे से गांव जसोल में अर्जुनङ्क्षसह के घर जन्म लिया। 1949 में सेना में दाखिल हुए। 1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान कर्नल हणूत को शकरगढ़ सेक्टर के पास बसंतर नदी के निकट तैनात किया। कर्नल हणूत यहां नदी पार कर पाकिस्तानी सेना पर हमला बोल दिया। पाकिस्तानी सेना ने यहां पर माइंस तो बिछा ही रखी थी यहां पूरी टैंक रेजिमेंट तैनात थी। कर्नल हणूत ने कमांड करते हुए पाकिस्तान के 48 टैंक की पूरी रेजीमेंट को ही तबाह कर दिया। ापाकिस्तान की सेना पीछे हट गई और 1971 में भारत की फतह हुई।
महावीर चक्र किया प्रदान
कर्नल हणूत को 1971 में युद्ध शौर्यता के लिए महावीर चक्र का सम्मान प्राप्त हुआ और वे सेना सेवानिवृत होने तक जनरल पद तक पहुंचे। वे देश के 12 महानतम जनरल में से माने जाते है। पाकिस्तान ने भी जनरल हणूत को फक्र-ए-हिन्द कहा जाता था।
पूना हॉर्स रेजिमेंट करती है सम्मान
पूना हॉस रेजिमेंट के लिए कर्नल हणूत परिवार के मुखिया की तरह रहे। रेजिमेंट उनका सम्मान करती है। उनके पैतृक गांव जसोल में हणूत के निधन बाद एक टैंकर भिजवाया गया है जो उनकी याद में स्थापित किया जाएगा और हर साल इसके लिए कार्यक्रम भी होगा।
संत की तरह रहे
सेवानिवृत्ति के बाद देहरादून में एक आश्रम में कर्नल हणूत संत की तरह रहे। उन्होंने आजीवन शादी नहीं की। वे आध्यात्मिक हो गए। उनके अनुयायियों की ओर से देहरादून के उनके आश्रम में पूरा ख्याल रखा जाता।
जसवंतङ्क्षसह के चचेरे भाई
कर्नल हणूत पूर्व वित्त, विदेश व रक्षामंत्री जसवंतङ्क्षसह के चचेरे भाई थे और उनके परिवार के सदस्यों में कई बड़े ओहदों पर है। देशभक्ति की भावना कर्नल हणूत में कूट-कूटकर भरी थी।
Published on:
06 Jul 2020 03:38 pm
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