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नए जिले में विकास की दरकरार, बुनियादी सुविधाओं का इंतजार

बालोतरा। करीब डेढ़ साल पहले जब बालोतरा को जिला घोषित किया गया, तब यहां के लोगों में विकास की उम्मीदें जगी थी। लेकिन अब तक जमीनी स्तर पर विशेष बदलाव नजर नहीं आ रहे है। बुनियादी सुविधाओं की कमी और अधूरी व्यवस्थाएं लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही हैं। जर्जर सड़कों से […]

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बालोतरा शहर का ड्रोन फोटो

बालोतरा। करीब डेढ़ साल पहले जब बालोतरा को जिला घोषित किया गया, तब यहां के लोगों में विकास की उम्मीदें जगी थी। लेकिन अब तक जमीनी स्तर पर विशेष बदलाव नजर नहीं आ रहे है। बुनियादी सुविधाओं की कमी और अधूरी व्यवस्थाएं लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही हैं।

जर्जर सड़कों से परेशान लोग

शहर की अधिकांश मुख्य और अंदरूनी सड़कें जर्जर हालत में हैं। बारिश के बाद सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे बन चुके हैं, जिनमें पानी भरने से आए दिन वाहन चालक और पैदल राहगीर हादसों का शिकार हो रहे हैं। नगर परिषद और लोक निर्माण विभाग की अनदेखी से सड़कों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।

स्थाई पार्किंग की व्यवस्था नहीं

शहर में लगातार बढ़ रहे वाहनों की संख्या के बावजूद कोई स्थाई पार्किंग स्थल विकसित नहीं किया गया है। बाजार क्षेत्रों में वाहन खड़े करने की पर्याप्त जगह नहीं होने से यातायात अव्यवस्थित हो जाता है, जिससे जाम की स्थिति आम हो गई है। इस समस्या को लेकर व्यापारियों व आमजन लंबे समय से स्थाई समाधान की मांग कर रहे हैं।

यातायात व्यवस्था चरमराई

शहर में ट्रैफिक पुलिस की उपस्थिति सीमित है और ट्रैफिक सर्कुलेशन की कोई ठोस योजना नहीं है। संकरी सड़कों पर दो तरफा ट्रैफिक और अवैध अतिक्रमण के कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। खासकर स्कूलों, अस्पतालों और मुख्य बाजारों के पास हालात और भी गंभीर हैं।

सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम अधूरा

बालोतरा में अब तक कोई प्रभावी सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम विकसित नहीं हो पाया है। थोड़ी सी बारिश होते ही शहर की गलियां और सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। नालियां जाम रहने और निकासी व्यवस्था खराब होने से गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

शिक्षा, चिकित्सा, बिजली-पानी पर फोकस जरूरी

आर्किटेक्ट खुशाल प्रजापत ने बताया कि जिले के रूप में बालोतरा की पहचान बनने के बाद अब शिक्षा, चिकित्सा, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सेवाओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी, सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की अपर्याप्तता, अनियमित जलापूर्ति और बिजली कटौती जैसी समस्याएं अब भी लोगों को परेशान कर रही हैं।

अब कार्य दिखे धरातल पर

मनोज कुमार ने बताया कि जिला बनने से केवल नाम की पहचान नहीं बल्कि सुविधा और विकास का व्यापक प्रभाव दिखना चाहिए। सरकार से मांग है कि वह जल्द से जल्द एक ठोस विकास योजना बनाकर इन जमीनी समस्याओं को प्राथमिकता से हल करे।