5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रोज करना पड़ता है 400 रुपए की सांसों का जुगाड़

सांस की आस :- सिलिकोसिस पीडि़त को प्रतिदिन चाहिए दो ऑक्सीजन सिलेंडर, परिवार चलाना हुआ मुश्किल

2 min read
Google source verification

image

bhawani singh

Nov 03, 2016

barmer

barmer

पत्थर के कण सांस में ऐसे घुले कि अब हर सांस दम घोटती महसूस हो रही है। प्रतिदिन 400 रुपए हो तो जीवन की डोर चले। दरअसल, इन्हें सांस लेने के लिए रोज दो ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए। लेकिन अब हालत ऐसी भी नहीं कि 400 रुपए का जुगाड़ कहीं से हो जाए। आस-पास से मदद लेकर इलाज करवाया। आर्थिक स्थिति भी इतनी कमजोर कि अब इलाज करवाना भी संभव नहीं रहा। यह स्थिति है शहर के वार्ड 13 के जटियों का नया वास में रहने वाले दूदाराम की।

सिलिकोसिस पीडि़त दूदाराम ने जब पत्थर की घसाई का काम शुरू किया तो परिवार के सदस्यों को लगा कि दो जून की रोटी का इंतजाम हो गया। धीरे-धीरे पत्थर के बारीक कण फेंफड़ों में ऐसे जमे कि अब सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। परिवार के सदस्यों ने इलाज के लिए घरेलू सामान तक बेच दिया। अब पैसे नहीं होने के कारण इलाज बंद है। वहीं पहचान वालों से उधार लिए गए रुपए चुकाना मुश्किल हो गया है।

रोज चाहिए दो सिलेंडर

सांस में तकलीफ होने के कारण अब घर पर ही दूदाराम को ऑक्सीजन देनी पड़ती है। ऑक्सीजन के दो सिलेंडर प्रतिदिन उसकी जरूरत हो गए हैं। ऐसे में परिवार के लिए अब प्रतिदिन 400 रुपए की ऑक्सीजन जुटाने व दवा के पैसों का जुगाड़ करना भारी पड़ रहा है।

बेटियों की पढ़ाई छूटी

पीडि़त की बड़ी बेटी सोनू व छोटी भावना की पढ़ाई परिवार की माली हालत खराब होने से छूट गई। हालांकि तीसरी बेटी बबलू व गुड्डी सरकारी विद्यालय जाती है। सबसे छोटा बेटा मांगीलाल भी नजदीक की स्कूल में पढ़ाई कर रहा है। कमाई का स्थायी जरिया नहीं होने से परिवार की रोजी-रोटी की व्यवस्था व ऑक्सीजन के लिए पैसे जुटाना मुश्किल हो रहा है।

नहीं मिली सरकारी मदद

पीडि़त को अभी तक न तो सरकारी मदद मिली और ना ही परिवार का बीपीएल कार्ड बना है। सरकार की ओर से सिलिकोसिस पीडि़त को मिलने वाली मदद भी नहीं मिलने से अब गुजारा भी नहीं हो रहा है।

परिवार की हालत खराब

बीमारी के इलाज के लिए पैसे नहीं है। कोई सहयोग करे तो इलाज हो जाए।-सुशीला, पत्नी

मदद की दरकार

एक माह पहले अहमदाबाद इलाज करवाने के लिए गए थे तब भी 20 हजार रुपए उधार लिए थे। अब और जाना है लेकिन पैसे नहीं है। 400 रुपए प्रतिदिन ऑक्सीजन के लग जाते हैं।-केसी देवी, माता

आवेदन भेजा है

दूदाराम को सहायता दिलाने के लिए आवेदन भेजा गया है। विभागीय उदासीनता के कारण देरी हो रही है। मदद मिलनी चाहिए।-लक्ष्मण वडेरा, जिलाध्यक्ष, मजदूर संघ

कर रहे प्रयास

इस परिवार को बीपीएल श्रेणी में लेने के लिए पूर्ण रूप से प्रयास किया जाएगा। जल्द ही कार्य करवाया जाएगा।-श्यामपुरी, स्थानीय पार्षद