
Do women have to go to Pakistan to become sarpanch?
भीख भारती गोस्वामी
गडरारोड (बाड़मेर) . सरपंच का चुनाव लडऩे के लिए कई महिलाओं के सामने अब पाकिस्तान जाने की नौबत आ गई है। ये बॉर्डर इलाके की वे महिलाएं है जिनका पीहर पाकिस्तान में है।
नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र पितृत्व के आधार पर बनता है, जो मायके के गांव से ही जारी होता है। एेसे में अब ये महिलाएं मन मसोस कर बैठी है कि न तो इतने कम समय में पाकिस्तान जा पाएंगी और न ही चुनाव लड़ सकेंगी।
सीमावर्ती बाड़मेर-जैसलमेर जिले में एक लाख के करीब पाक विस्थापित परिवार है। जिलेभर के सौ से अधिक गांवों में ये परिवार चौहटन, शिव, गडरारोड़, रामसर व अन्य क्षेत्र में बसे हैं।
भारतीय नागरिकता इन परिवारों को मिल चुकी है। अब सरपंच के चुनावों में जहां-जहां आरक्षण के हिसाब से सीट आई है वहां इन परिवारों की महिलाएं भी दावेदारी में है, लेकिन जाति प्रमाण पत्र के नियम ने इनको निराश कर दिया है।
दरअसल जाति प्रमाण पत्र का आधार पितृत्व है और इसी के आधार पर आरक्षण तय होता है। महिलाओं को अपने मायके से यह प्रमाण पत्र लाना होगा।
जिनका पीहर पाकिस्तान में है वे न तो इतने कम समय में पाकिस्तान जा सकती है और न ही वहां से यह प्रमाण पत्र अब जारी होना है। लिहाजा उनके चुनाव लडऩे की हसरत मन में ही रह जाएगी।
यह भी समस्या
राजस्थान व अन्य राज्यों में जातिगत आरक्षण की स्थितियां भी भिन्न है। कई जातियां जो राजस्थान में अनुसूचित जाति या ओबीसी वर्ग में है वे अन्य राज्यों में दूसरे वर्ग में है।
ये महिलाएं अब पीहर से प्रमाण पत्र लेने जाएगी तो उनकी जाति अलग होने से यहां चुनाव नहीं लड़ पाएगी। इनके लिए भी जाति प्रमाण पत्र उन्हें चुनाव लडऩे से वंचित रख रहा है।
जाति प्रमाण-पत्र आवश्यक है
जाति प्रमाण पत्र आवश्यक है। यह पिता के निवास स्थान से ही जारी होगा। इसके बिना तो चुनाव लड़ नहीं पाएंगे।
- मोहनदान रतनू, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बाड़मेर
Published on:
07 Jan 2020 07:30 pm
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