
Education Department Rajasthan: Rajasthan: Government of Rajasthan: दिलीप दवे बाड़मेर. दसवीं बोर्ड की परीक्षा हो या बारहवीं का इम्तिहान, प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में अध्ययनत बच्चों को पूरे साल पास होने से ज्यादा चिंता इस बात की रहती है कि कोर्स पूरा कौन करवाएगा। क्योंकि माध्यमिक शिक्षा में पद रिक्तता चल रही है। ग्यारहवीं व बारहवीं में पढ़ाने के लिए व्याख्याता नहीं है तो दसवीं में पढ़ाने वाले वरिष्ठ अध्यापकों की कमी है। स्थिति यह है कि हर तीसरा पद खाली है। इसका खामियाजा शिक्षार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। विशेषकर बाड़मेर जैसे बॉर्डर के जिले में जहां विद्यालयों में काफी पद रिक्त है।
सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बड़ी समस्या है। प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो प्रधानाचार्य के 5588 पद रिक्त है तो फिर प्रशासनिक कार्य करवाए तो कौन। व्याख्याताओं के 16084 पद भी खाली है। इसके चलते बारहवीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को हर दिन कोर्स पूरा नहीं होने का डर रहता है। कमोबेश यही हालात उप प्रधानाचार्य, तृतीय श्रेणी शिक्षक, शारीरिक शिक्षक, बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की है, जिनके काफी तादाद में पद रिक्त है।
बाड़मेर में बड़ी चिंता
बाड़मेर व नव गठित बालोतरा जिले में पद रिक्तता बड़ी चिंता है। क्योंकि बॉर्डर के जिले होने पर पहले ही यहां शिक्षक नहीं आते, उसके बाद सीमा से लगते गांवों व दूर दराज के विद्यालयों में शिक्षक लगना ही नहीं चाहते। जिस पर कई विद्यालय ऐसे हैं जहां तृतीय श्रेणी शिक्षक के भरोसे बारहवीं तक के स्कूल है।
डीपीसी अटकी
एक तरफ लम्बे समय से प्रदेश में अध्यापकों की डीपीसी अटकी हुई है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने विद्यालय क्रमोन्नत तो कर दिए लेकिन यहां पद स्वीकृत नहीं किए हैं। ऐसे में नवीन विद्यालयों में पद स्वीकृति होती है तो पद रिक्तता की स्थिति और विकट हो जाएगी।
पद रिक्तता सरकारी विद्यालयों की बड़ी समस्या है। हाल ही क्रमोन्नत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पद स्वीकृत नहीं है। ऐसे में शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। - बसंतकुमार जांणी, जिलाध्यक्ष राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा
Published on:
27 Sept 2023 12:04 am
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