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घरों में घी है लेकिन हाथ धोने को पानी नहीं, आखिर कैसे लड़े कोरोना से जंग

चिकित्सा विशेषज्ञों की कोरोना से बचाव के लिए बार बार हाथ धोने की सलाह ने सीमा क्षेत्र में लोगों को असमंजस में डाल दिया है। क्योंकि क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों में पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है और इसके चलते वे बार बार तो हाथ धोने की सोच भी नहीं सकते...

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- भीख भारती गोस्वामी

बाड़मेर/गडरारोड। चिकित्सा विशेषज्ञों की कोरोना से बचाव के लिए बार बार हाथ धोने की सलाह ने सीमा क्षेत्र में लोगों को असमंजस में डाल दिया है। क्योंकि क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों में पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है और इसके चलते वे बार बार तो हाथ धोने की सोच भी नहीं सकते। इन गांवों के बाशिंदों का कहना है कि उनके घरों में इन दिनों घी तो खूब मिलेगा, लेकिन पीने का पानी उन्हें मीलों लंबा फासला तय करके लाना पड़ता है। लगभग 50 से अधिक गांवों में ये हालात पेयजल आपूर्ति के लिए लगी बिजली की मोटर जलने से उत्पन्न हुए हैं। इस वजह से गडरारोड क्षेत्र के बिजावर, सुंदरा, रोहिडी, रोहिड़ाला, रतरेडी कला, तानुमानजी, दूधोडा, खारची, तामलोर, शाहदाद का पार सहित दर्जनों गांवों को ट्यूबवेल से पानी नहीं मिल पा रहा है।

एक घड़े के लिए मीलों का सफर
ग्रामीणों को एक घड़ा पानी लाने के लिए मीलों दूर जाना पड़ रहा है। कड़ी मशक्कत के बाद घर में आए इस पानी का इस्तेमाल हाथ धोने में करने से ग्रामीण कतरा रहे हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र ओढ़ी के सरपंच रमेश कुमार के अनुसार मुख्यालय के तीनों ट्यूबवेल पिछले 1 माह से खराब है।

लॉक डाउन के चलते वर्कशाप बंद है। मोटरों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। ठेकेदार भी पाईप व अन्य साम्रगी नहीं ला रहा हैं। ना ही मजदूरों से काम करवा पा रहे हैं।
विजेन्द्र प्रसाद मीणा, सहायक अभियंता, गडरारोड


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