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आधी आबादी को नहीं आखर ज्ञान… बाड़मेर से कैसे मिटेगा अशिक्षा का अंधेरा

एक तरफ जहां बालिका शिक्षा में थार की बेटियां बालकों को कड़ी टक्कर देते हुए बोर्ड परीक्षा में अव्वल रहकर डंका बजा रही हैं तो दूसरी ओर महिला साक्षरता में बाड़मेर की नारी काफी पिछड़ रही है। बाड़मेर की महिला आबादी में से मात्र चालीस फीसदी को ही आखर ज्ञान है, इसमें भी शहरी महिलाएं ज्यादा हैं, जिनकी तादाद 66.64 प्रतिशत है। जबकि ग्रामीण महिलाएं कुल सारक्षता दर में 38.55 फीसदी ही है।

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जिले की आधी आबादी पढ़ाई-लिखाई में काफी पीछे, महिला साक्षरता दर मात्र 40.63%

2011 की जनगणना के अनुसार बाड़मेर की कुल साक्षरता दर 56.53% है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 70.86% और महिला साक्षरता दर 40.63% है। इसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में कुल साक्षरता दर 54.79% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 69.44% और महिला साक्षरता दर 38.55% थी। ग्रामीण साक्षरता दर 54.79 प्रतिशत है। ग्रामीण पुरुष साक्षरता दर: 69.44 व ग्रामीण महिला साक्षरता 38.55 फीसदी ही है। शहरी साक्षरता में आंकड़ा जरूर बड़ा हुआ है जिले की शहरी साक्षरता दर: 78.22 प्रतिशत है जिसमें से पुरुष साक्षरता दर 88.63 व महिला साक्षरता दर 66.64 प्रतिशत है। यह बाड़मेर जिले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच साक्षरता के बड़े अंतर को दर्शाती है, जिसमें शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर काफी बेहतर है।

इस साल 73 हजार लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य

साक्षरता दर बढ़ाने में बुनियादी साक्षरता अभियान बड़ा बदलाव ला रहा है। हर साल निरक्षर लोग सारक्षता के लिए परीक्षा देते हैं। इस साल 73 हजार लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य जिला साक्षरता को दिया गया है। वहीं, कई जनप्रतिनिधि जो निरक्षर थे वे भी बुनियादी साक्षरता को अपना आखर ज्ञान सीख आगे बढे हैं।

बदलाव नजर आएगा

साक्षरता को लेकर बदली है सोच- जिले में सारक्षता को लेकर लोगाें की सोच में बदलाव आया है। पहले बुजुर्ग पढ़ने को लेकर झिझकते थे, लेकिन अब बुनियादी साक्षरता के दौरान काफी तादाद में बुजुर्ग भी परीक्षा देते हैं। हालांकि महिला सारक्षता को लेकर थोड़ी कमी है, लेकिन हम आमजन को जागरूक कर रहे हैं। यह बदलाव इस बार जनगणना के आंकड़े आएंगे तब नजर आएगा।

- कमलसिंह भाटी, जिला साक्षरता अधिकारी बाड़मेर

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एक्सपर्ट व्यू : आ रहा सोच में बदलाव

समय के साथ सोच में बङा बदलाव आ रहा है। हालांकि बेटियों का स्कूल में नामांकन दिनों-दिन बढ रहा है पर कॉलेज लेवल पर आते-आते वैसा अनुपात नहीं रहता। दसवीं या बारवीं के बाद आगे उच्च शिक्षा में लड़कियांपिछङ रही हैं। विगत वर्षो में सरहदी क्षेत्र में हम लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति व सम्मान जैसे विशेष कार्यक्रम चलाकर उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आज भी बाङमेर-जैसलमेर की आधी आबादी की बड़ी संख्या नाममात्र साक्षर या निरक्षर भी है। उनके लिए डिजिटल साक्षरता का बङा अभियान हमने चलाया है जिससे वर्तमान के दौर में मोबाइल की आधारभूत जानकारी प्रदान कर सामान्य डिजिटल साक्षर बनाया जा सके।

- रूमा देवी, सामाजिक कार्यकर्ता व स्टेट ब्रांड एंबेसडर राजिविका