बीएसएफ किस तरह कर रही है बर्निंग फैमिली की हैल्प
प्रशासन अभी ऑनलाइन पोर्टल का इंतजार कर रहा, बीएसएफ ने टैंट-राशन और सहायता कर दी
जले हुओ पर बीएसएफ का मरमह, प्रशासन का नमक
बाड़मेर
Published: May 09, 2022 11:55:41 am
रतन दवे
बाड़मेर .
आगजनी की घटना में गरीब परिवारों का सबकुछ तबाह हो जाए और वे आसमान तले आकर जार-जार रोने लगे तब बहते आंसूओं को देखकर किसी का भी दिल पिघल जाए लेकिन प्रशासनिक व्यवस्थाएं यहां पर भी जले पर नमक का ही कार्य कर रही है। सात दिन पहले सीमांत मालाणा गांव में हुई घटना में सात परिवारों के बाद जो बीती है उसने आग पर मरहम और नमक दोनों सामने ला दी है। सरकारी कागजी कार्रवाई इन जले हुओं को तत्काल सांत्वना देने के अलावा कुछ नहीं कर पा रही है।
यह हुई घटना
मालाणा गांव में 28 अप्रेल को सात घरों को चपेट में लिया। पक्के मकान व दुकानों में आग की भेंट चढ़े।12 बकरियां मर गई। घरेलू सामान स्वाहा हो गया। सात परिवारों के पचास से अधिक महिला-पुरुष बच्चे आसमान तले आ गए।
बीएसएफ ने यों लगाया मरहम
- तत्काल पहुंचकर आग पर काबू पाया
- आग से प्रभावित हुए परिवारों को टैंट मुहैया करवाया
-करीब एक लाख रुपए की राशन सामग्री व जरूरत का सामान दिया
- मेडिकल और मदद का इंतजाम किया
प्रशासन का यह है नमक
- फायर ब्रिगेड तीन घंटे बाद पहुंची
-मौके पर तहसीलदार आए सांत्वना देकर रवाना
- बीएसएफ की मदद को गिना रहे, खुद का कुछ नहीं
- नियमानुसार मदद होगी, पीडि़त आवेदन तो करे
अब भी प्रक्रिया का जाल
पहले पोर्टल पर जाओ
आगजनी की घटनाओं को लेकर अब ऑन लाइन पोर्टल है। पीडि़त को आवदेन करना होगा। यह जानकारी तहसीलदार तक जाएगी और तहसीलदार की रिपोर्ट कलक्टर को होने के बाद नियमानुसार राशि जारी होगी। इसमें महीनेभर और ज्यादा भी समय लग जाता है।
पोर्टल पर जाएं
आग से जले अधिकांश परिवार झोंपों में रहने वाले गरीब है। इन परिवारों के लिए पोर्टल और ऑन लाइन किसी बला से कम नहीं है। अपनी बर्बादी पर आंसू बहाने वाले ये लोग ऑन लाइन जाए या उजड़ चुकी दुनियां पर आंसू बहाए। हफ्ते-दस दिन इनको लग जाते है और फिर सरकारी प्रक्रिया।
तत्काल मिलती है सांत्वना
जैसे ही आग की घटना होती है यहां पर बड़ी घटना हों तो प्रशासन अधिकारी, छोटी घटना हों तो पटवारी और कई बार कोई नहीं पहुंचता है। बाद में ही मौका रिपोर्ट दी जाती है। इनके पास तत्काल देने को कुछ नहीं होता है। पीडि़त परिवार के सांत्वना देकर लौट आते है।
बाद में भी मामूली मदद
आगजनी के बाद में कच्चा झोंपा चलने पर महज 4100 रुपए मिल रहे है। एक झोंपा बनाने में मेहनत के अलावा 40-50 हजार रुपए व्यय हो जाते है। सामग्री के लिए 2000 रुपए और कपड़ों के लिए 1800 यानि कुल 3800 रुपए दिए जा रहे है। पक्का मकान जलने पर 90000 मिलते है।
आवेदन करेंगे तो सहायता मिलेगी
मैं मौके पर गया था । तत्काल कुछ नहीं मिलता है। बीएसएफ ने मदद की है। ऑन लाइन आवेदन करेंगे तो इसके बाद नियमानुसार मदद दी जाएगी। मदद के लिए अलग-अलग राशि तय है।-मीठालाल मीणा, नायब तहसीलदार
दुआएं बीएसएफ के लिए
हम तो बीएसएफ के बहुत शुक्रगुजार है। रोजे रखे हुए थे, आग लगते ही फौजियों को कहा तो तुरंत आ गए। आग पर काबू पाया और इसके बाद हमारी पूरी मदद कर रहे है। इनके लिए जितनी दुआएं पढ़ी जाए उतनी कम है।- सकूरखां, पीडि़त
तुरंत दे तब बात है
आग से सबकुछ जल गया। हम लोग आसमान तले आ गए । भला हो बीएसएफ का मदद की। उम्मीद होती है कि अफसर तुरंत आकर व्यवस्था करे। सबकुछ जलने के बाद क्या रहता है। -पन्नूखां, पीडि़त

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