
‘मसाला फसलों का उत्पादन व गुणवत्ता में हो वृद्धि’
बाड़मेर. कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी की ओर से सोनड़ी गांव में जीरे की प्रथम पंक्ति प्रदर्शन का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ बागवानी डा. हरिदयाल चौधरी ने कहा कि मसाला फसलें जीरा, धनिया, सौंफ, मैथी शुष्क क्षेत्रों में किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। मसालों की मांग देश-विदेश में प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है, लेकिन यह आवश्यक हो जाता है कि मसाला फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के साथ उत्पादन एवं गुणवता में भी वृद्धि की जाए।
उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 7.8 लाख हैक्टेयर में जीरा बोया जाता है तथा उत्पादन लगभग 5 लाख टन होता है। परन्तु विदेशी मांग अनुरूप पैदावार नहीं हो पा रही है जिसका मुख्य कारण अंधाधुध किटनाशी का प्रयोग है जो कि पूर्व से दो-तीन गुणा ज्यादा प्रयोग होने लगा है, इसके कारण प्रति हैक्टेयर उत्पादन एवं वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है।
एेसे में उन्नत कृषि क्रिया से जीरे का प्रति हैक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के लिए केन्द्र की ओर से सोनडी में जीरे की किस्म जीसी-4 का प्रदर्शन दिया गया। यह किस्म उखटा रोगरोधी है तथा इसकी औसत उपज 6-7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।
उन्होंने किसानों को उक्त किस्म के बारे मेंजानकारी प्रदान की। किसान संघ अध्यक्ष हरिराम मांझु ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
Published on:
24 Oct 2021 12:38 am
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