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मुनि विवेकसागर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि काल बड़ा ही विकराल है। समय सतत अपनी गति से चल रहा है। हमारा रहने का तरीका जरूर बदला है लेकिन हमारा नैतिक एवं धार्मिक स्टण्डर्ड अभी तक वहीं का वही है। मुनि प्रशमसागर ने कहा कि चातुर्मास जीवन का आमूलचूल परिवर्तन करने का पर्व है। साध्वी विद्युतप्रभा ने कहा कि बाड़मेर की धरती आचार्य जिनकांतिसागरसूरि की कर्मभूमि और प्रमोदश्री की अंतिम साधना भूमि है। बी.डी. तातेड़, रिखबदास, डॉ. रणजीतमल मेहता, मुकेश जैन, वीरचंद भंसाली, जितेन्द्र बांठिया, कांति सुलोचन सामायिक मंडल, सोनू वडेरा, ज्योति मालू, हर्षा कोटड़िया, आदिनाथ महिला मंडल, खरतरगच्छ महिला परिषद, जिनशासन युवति मंच ने विचार व्यक्त किए।
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