फिल्मी सितारों से ज्यादा सिनेमाहॉल खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहा जयराम
30 साल में ऐसी कोई फिल्म नहीं जो जयराम ने बड़े पर्दे पर नहीं देखी
- 20 साल से सिनेमाघर में इसी शौक के चलते कर रहा नौकरी
- 06 माह से सिनेमाघर खुलने का इंतजार

बाड़मेर.शाहरुखखान, अमिताभबच्चन, ऐश्वर्याराय और पूरी फिल्म इंडस्ट्री कोरोना में सिनेमा हॉल खुलने का इंतजार कर रही होगी लेकिन बाड़मेर के जयराम की बेसब्री इनसे भी ज्यादा है। फिल्म इंडस्ट्री तो रुपया और कारोबार के लिए यह कर रही होगी लेकिन जयराम अपने शौक के लिए बेचैन है।
पिछले तीस साल में ऐसी कोई फिल्म नहीं है जो जयराम ने बड़े पर्द पर नहीं देखी हो। फिल्मों का नशा ऐसा कि बीस साल में वह सिनेमा में नौकरी भी इसलिए कर रहा है कि उसका फिल्म देखने का जुनून पूरा हो और रोजगार भी चल जाए। पहली बार कोरोना के कारण वह छह माह से फिल्मों से दूर है। जयराम कहता है कि उसको ऐसे लग रहा है कि उससे बहुत कुछ छूट गया है,लेकिन वह उम्मीद करता है कि फिर से सिनेमा खुलेंगे तो वह सिनेमा की रील चलाएगा। जयराम को फिल्म देखने का शौक कम उम्र में लग गया। टीवी पर फिल्म देखते हुए एक दिन वह सिनेमा में फिल्म देखने पहुंचा तो बड़े पर्दे पर फिल्म देखते ही उसको ऐसा नशा लगा कि जो भी नई फिल्म लगती शहर के दोनों सिनेमा में पहुंचकर देख लेता। छठी कक्षा से यह नशा शुरू हुआ तो ऐसा कि कई बार वह फिल्म के लिए बाड़मेर से जोधपुर चला जाता और वहां नई फिल्म देखने के बाद ही उसको चैन मिलता।
पढ़ाई छूट गई फिल्मों के चक्कर में जयराम ने छठी के बाद अपनी इस लत के कारण नवीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी और वह फिल्मों के लिए कुछ काम कर अपने लिए जेबखर्ची जुटा लेता और इससे फिल्म देखने का शौक पूरा करता रहा। परिवार के लोगों ने कई बार बात की लेकिन जयराम का नशा ऐसा था कि वो कहता है कि मुझे फिल्म देखने के सिवाय चैन ही नहीं मिलता था। सिनेमा में ही कर ली नौकरीजयराम फिल्म देखने के शौक में रोज सिनेमाघरों में आने-जाने लगा तो उसको सिनेमा से जुड़े लोग पहचानने लग गए। वे कहने लगे कि जब रोज ही आना है तो यहीं पर नौकरी कर ले।
जयराम की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई । उसने टिकट जांच करने की नौकरी कर ली और फिर तो वह हर फिल्म को दिन में दो बार देख लेता और अन्य सिनेमा में भी देखने चला जाता। खुद ही चलाने लगा फिल्म रीलटिकट जांच करने में भी जयराम को लगा कि फिल्म में कई बार खलल होता है और दूसरा इतना पैसा भी नहीं मिल रहा था।
उसकी गृहस्थी के लिए भी अब रुपयों की जरूरत थी तो उसने फिल्म रील चलाना सीख लिया और फिर तो वह बैठ गया अपनी पसंद की कुर्सी पर जहां से वह फिल्म को आराम से प्रतिक्षण देख सकता था। पहली बार छूटा बड़ा पर्दाजयराम से बड़ा पर्दा कोरोना ने छुड़वाया है।
पिछले छह माह से सिनेमा बंद है। शहर के आंचल सिनेमा में नौकरी कर रहे जयराम को कोरोना के कारण 23 मार्च के बाद सिनेमा हॉल बंद करने की जानकारी मिली तो वह दुखी हो गया। फिल्मों का बड़ा पर्दा छूटने के बाद वह फिल्में अब टीवी व मोबाइल पर देख रहा है लेकिन जयराम कहता है कि वह आज भी दुआ कर रहा है कि सिनेमा वापिस शुरू हो जाए और वह फिर से बड़े पर्दे पर फिल्म देख पाए।
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