scriptजूंण रौ जंजाल़ | Jun rou jungle | Patrika News

जूंण रौ जंजाल़

locationबाड़मेरPublished: Nov 10, 2020 01:12:18 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

म्हूँ धर रौ जूनों रूंखड़ौ, इण वगत नै कमतर निजर री थाक्यौड़ी अर बुझ्यौड़ी आंख्यां सूं टुकर टुकर निरखण री अणूताई पण करूँ। लारलां दिनां नै हिंयै माथै हाथ राखतौ थकौ याद पण करूँ।म्हारौ पण बाल़पणौ अर मोटियारगाल़ौ हबौल़ा लैतौ।कंईं सांवरै री लीला है। उगतै अर आथमतै में इतरौ फरक, खैर इतरौ टैम बदलियौ म्हनै तो विस्वास पण नीं व्है।

जूंण रौ जंजाल़

जूंण रौ जंजाल़

जूंण रौ जंजाल़
अपनापन
मांगूसिंह बिशाला
म्हूँ धर रौ जूनों रूंखड़ौ, इण वगत नै कमतर निजर री थाक्यौड़ी अर बुझ्यौड़ी आंख्यां सूं टुकर टुकर निरखण री अणूताई पण करूँ। लारलां दिनां नै हिंयै माथै हाथ राखतौ थकौ याद पण करूँ।म्हारौ पण बाल़पणौ अर मोटियारगाल़ौ हबौल़ा लैतौ।कंईं सांवरै री लीला है। उगतै अर आथमतै में इतरौ फरक, खैर इतरौ टैम बदलियौ म्हनै तो विस्वास पण नीं व्है। म्हैं कदैई नीं सोच्यौ की वगत री रफ़तार घणी तेजी सूं बदलैला।म्हारै देखतां देखतां इतरौ कबाड़ौ। कितरा भल़ा दिन हता। म्हूँ पण टणकांई में आंधौ घुप्प हुवौड़ौ फिरतौ। म्हांरी गूड़ी छियांड़ी में घणां नै तिरपती मिल़ती। म्है पूरी ऊमर अपणायत रौ मान राख्यौ अर मिनखपणैं रै आचार रौ लूंठौ पाल़ण कीधौ। हरैक नै पड़ुतर दीधौ।म्हारी सरणां में आयोड़ै गरीब, मांदै, लाचार, निरास अर अमीर नै एक जैड़ौ आसरौ दीधौ। किंणी तरै रौ भैदभाव नी राख्यौ।सगल़ां नै ठाढ़ी छिंयाड़ी में साजा ताजा कीधा अर हैसियत सारूं घणां आंजा पकाए मीठा अर ताजा फल़ पण दीना।अणजांणा जीवां नै राती वासौ घणै हेत अर लाड कोड सू म्हारै थुड़़, टाल़ै डाल़ै दीनौं। म्हूँ सुकाल़, दुकाल़ सरदी, गरमी, बरखा, टैम बैटैम में मांनखै अर जीवां रै दुख सुख में हैलै हाजर होवतौ । म्हैं मोटियागाल़ै म्हांरौ फरज दातार रै रूप में निभायौ । म्हैं किंणी माथै भाल नी करियौ रूंख रौ काम पण दैवण रौइÓ,ज व्है लैवण रौ तो नाम इÓज खोटौ।बात सौल़ै आना साव साची है । चिनकीÓक तौ म्हूँ भी जगत सूं अर अपणां सूं आस राखूं। जगत में भांत भांत री सोच अर विचार रा जीव रैवै। कैवण रौ मतलब रूंख री जूंण परमारथ रै खातिर इÓ,ज है!
एक दिन परकति रूठी।घणी जोर री आँधी आई। म्हनैं दोरौ घणों हिलाए पछै छोड्यौ। अर जड़ां नै खोखल़ी पण कर दीधी। मांनखौ इतरो लालची अर मतलबी
निकल़सी म्है सुपनै में भी नी सोच्यौ।बीज रूप में मिनख जात खुदगरजी रौ धरा माथै एक नमूनो पण लागै।
म्हांरै सूं मतलब तांईं वैवार राख्यो। म्हारौ एक एक पतौ एक एक डाली एक एक फूल़ अर फल़ां रौ जूंण में लावौ लीनों। साथी रूंखड़ा कैवता भाई वगत नै पैचांण कोई किंणी रौ नी व्है।
थाकी घोड़ी रौ कुण धणी म्हूँ विस्वास पण नी करतौ।
न्यारै रंग रूप रा घणी दूरी सूं जगा जगा रा भोल़ा भाल़ पंखिड़ा रातिवासै सांरूँ म्हांरी शरण में आवता मिलगोई जी दौरौ नी करता।म्हांरी व्यथा कुण सुणैं अर किंण नै सुणावां। म्हांरी घणी टैम री भैल़ी कियौड़ी संपदा नै आदम रूप रा सगल़ा अजीज कतरै कतरै सांरूँ भिड़ता अर घन चक् करी हुयौड़ा मांथा भांग्यौड़ा भमलज़िता भटकता देख्या।
एक बात साफ समझ में आई। जगत में कोई किंणी रौ नी व्है। अपणायत महज दिखावौ लागै। म्हनै देखौ म्हांरै घरां मिनख जात रौ घणो जमघट रैवतौ। आज री टैम में म्हनै अपणौं री जरूरत है। अपणां झट पराया बणतै कीं टैम नी लागी। म्हूँ फकत हैकल़ौ सूनियाड़ में खोखलै ठूंठ रै रूप में परिवार अर कुटुंब सूं टाल्यौड़ै छैली पिछौड़ी में आंगलियां री रैख सूं दिन गिणतौ जीया जूंण रौ बचियौड़ौ टैम पूरौ करूँ। ऐड़ौ वैवार हर रूंख रै सागै पूरी जंगल़ात में टैम मुजब होवणों तय है। भजन री आ लैण मिनख जूंण रै रूंख माथै पूरी फिटोफिट फाबै।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो