उन्होंने कहा कि एनकाउंटर प्रकरण से पहले सांडेराव प्रकरण में दोषी नहीं था। जैसे ही बाड़मेर में 22 अप्रेल की रात एनकाउंटर हुआ पाली पुलिस में भागदौड़ हुई और बाली में एकत्रित होते है। एएसपी के कार्यालय में कई पुलिस अधिकारी बैठे और कमलेश की पत्रावलियां मंगवाई। वहां लेपटॉप व कम्प्यूटर में बेक डेट में केस डायरी में बयान दर्ज कर कमलेश के खिलाफ साक्ष्य जुटाए है। यह षडयंत्र है। हमने सीबीआई में आवेदन किया है। सभी लोगों की मोबाइल लोकेशन निकलवाई जाए। नाडोल के पुलिसकर्मी के बयान लेने व प्रकरण की जांच एएसआइ रमेशकुमार से बदलकर महज तीन दिन में सीईओ सुमेरपुर को देने पर भी सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि जिस पुलिसकर्मी के सांडेराव प्रकरण में बयान दर्ज किए जाते है, वह कब बाड़मेर आया और उसने किससे से पूछताछ की गई। उन्होंने बताया कि सीईओ सुमेरपुर को जांच दी गई है, वह भी एनकाउंटर से पहले बाड़मेर कब आए और किससे पूछताछ की गई। उन्होंने मामले निष्पक्ष जांच की मांग की। गौरतलब है कि संघर्ष समिति की मांग के बाद इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।