बाड़मेर जिला मुख्यालय के बलदेव नगर सहित आस-पास इलाकों में करीब एक सौ परिवार मटकी बनाने में कार्य करते थे, लेकिन वर्तमान में सरंक्षण नहीं मिलने पर पचास फीसदी कमी आ गई है। मटकी उद्योग को जमीन आवंटन कर प्रोत्साहन देने की मांग को लेकर कुंभकार समाज के लोग कई बार सरकार के जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत करवा चुके है। साथ ही शहर के बलदेव नगर में मटकी व्यवसाय का बड़ा कारोबार था, लेकिन वर्तमान में यहां कॉलोनियां बस गई है। अब मटकी पकाने के दौरान होने वाले दूषित प्रदूषण फैल रहा है।
संरक्षण का अभाव, दम तोड़ रहा उद्योग
माटी आधारित कुंभकार उद्योग को किसी भी प्रकार को कोई सरकारी संरक्षण नहीं है। कारीगर स्वयं के स्तर पर मंहगी माटी, बजरी व जलाऊ लकड़ी खरीद मटकियां बनाते हैं। मटकियों को स्टॉक में रखने के लिए कोई सुविधा नहीं होने पर कारीगरों को इन्हें कम लागत में व्यापारियों को बेचना पड़ता है। इस पर कड़ी मेहनत के बावजूद इन्हें कम पैसा मिलता है।
—
– सरकार दें संरक्षण
कुंभकारी उद्योग बहुत प्राचीन उद्योग है, लेकिन इसे किसी प्रकार का कोई सरकारी संरक्षण नहीं है। कम कमाई पर चाहकर भी चिमनी नहीं लगा सकते हैं। सरकार कुंभकारों को अनुदान आधार पर ऋण उपलब्ध करवाएं। – मुकनाराम प्रजापत
– मटकी उद्योग में मेहनत अधिक व मुनाफा कम है। सरकार सहयोग नहीं कर रही है। पीढिय़ों से हमारा परिवार मटिक पकाने का काम कर रहा है, लेकिन अब सरंक्षण के अभाव में यह काम बंद होने की कगार पर है। सरकार हमारी मदद करें, नहीं तो यह मटकी का कारोबार बंद हो जाएगा। – आईदानराम प्रजापत, व्यवसायी
—