
Lakshmi is raining Saraswati in the desert
बाड़मेर . रेगिस्तान जहां पानी की बूंद-बूंद को लोग तरस रहे थे वहां अब अंगूर, अनार, आम, चीकू, अंजीर, जीरा निपजने लगा है। 50 हजार कुएं अकेले बाड़मेर जिले में हो गए है और जगह-जगह भूगर्भ मेें फूट रही पानी की धार से संींचित क्षेत्र 3.5 लाख हैक्टेयर पहुंच गया है।
बाड़मेर ही नहीं बीकानेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर में भी पाताल तोड़कर पानी निकलने की गति तेज हुई है। रेगिस्तान में बरस रही अरबों की फसलों की लक्ष्मी कहीं सरस्वती(सुप्त नदी) की मेहरबानी तो नहीं है। भू वैज्ञानिक इस दिशा में सोच रहे है,इसी बीच में बाड़मेर जिले के गिरल में मिले शार्क के दांतों के अवशेष ने सरस्वती की सुप्त धाराओं को उनके दिमाग में फिर से जागृत कर दिया है।
करीब 4000 से 6000 पूर्व सुप्त हुई इस नदी का उल्लेख ऋग्वेदकाल में है। वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने सरस्वती की खोज की शुरूआत करवाई। ईसरो रिजनल सेंटर जोधपुर के निदेशक जे आर शर्मा के नेतृत्व में बनी टीम ने कार्य प्रारंभ कर सरस्वती के पदचिन्हों का मैप तैयार किया।
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से लेकर गुजरात तक सरस्वती के होने के प्रमाण मिले। पाकिस्तान में सिंधु घाटी सभ्यता से भी जुड़ाव माना है। इस मैप को सेंंटल ग्राउण्ड वाटर डिपार्टमेंट को दिया गया।
प्रमाण मिलने पर सार्वजनिक किया शोध
वर्ष 2000 में भारत सरकार की ओर से इसको सार्वजनिक भी किया गया कि सरस्वती के रेगिस्तान में होने के प्रमाण मिले है और इसको खोजन के लिए बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य किया जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से भी इसके लिए करीब 70 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाकर विदेशों से मशीन मंगवाने की बात कही । करीब दो साल पहले केन्द्र सरकार के एक अध्ययन दल ने बाड़मेर जिले के शिव, रामसर,चौहटन और बाड़मेर में पहुंचकर अध्ययन किया। इसकी सर्वे रिपोर्ट के लिए टीम गठित की गई,लेकिन इसके बाद इसको लेकर बात आगे नहीं बढ़ी है।
2002 के बाद लगातार संकेत
- 2002 में आए भूकंप के बाद रेगिस्तान में बढ़ा जल स्तर
- 50 हजार कृषि कुओं के साथ बाड़मेर में 3.5 लाख हेक्टयेर सिंचित क्षेत्र
- हाल ही में रेगिस्तान में मिला है अथाह खारे पानी का भण्डार
तेल कंपनियों खोज रही पानी
रेगिस्तान में खारे पानी के भण्डार मिलने के बाद अब तेल कंपनियों ने पानी की खोज का कार्य भी प्रारंभ कर दिया है। जहां-जहां तेल कुएं खुदाई हो रहे है वहां पर अब पानी खोजा जा रहा है और सरस्वती के पदचिन्हों पर ही यह खोज करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरस्वती के प्रमाण बार-बार मिले है
सरस्वती नदी के प्रमाण बार-बार मिले है। रेगिस्तान में सरस्वती के पदचिन्हों पर ही भूमिगत जल का स्तर बढ़ रहा है। सरस्वती खोज के कार्य को आगे बढ़ाया जाए तो पंजाब के आदीबद्री से गुजरात के धोलावीरा तक पानी का इंतना बड़ा जरिया मिलेगा जो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में पेयजल की समस्या का बड़ा समाधान कर सकता है। - प्रो एस पी माथुर, भू वैज्ञानिक
Published on:
09 Jun 2020 11:35 am
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