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पश्चिमी सीमा के आखिरी गांव लॉकडाउन

- लॉकडाउन के चलते लोग घरों में कैद- सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालना- खेतों में काम करते हुए कर रहे नियम पालन- नहीं मिलते एक दूसरे से- गांव की चौपाल पर कोई नहीं

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Lockdown in last village of western border

Lockdown in last village of western border

बाड़मेर. शहरों और कस्बों में लॉकडाउन को लेकर पुलिस व प्रशासन को पालना करवानी पड़ रही है लेकिन सरहद के आखिरी गांव जो जिला मुख्यालय से 150 किमी तक दूरी पर है वहां पर भी लोगों ने खुद को संयमित कर लिया है। जरूरतें इतनी कम है कि उन्हें कहीं जाने की आवश्यकता ही नहीं। पानी के लिए कुछ मील चलना मजबूरी है इसके अलावा ये लोग घरों में ही है।

पाक सीमा से लगते सोमराड़ गांव पत्रिका टीम पहुंची तो यहां करीब सौ घरों वाली आबादी में सन्नाटा पसरा था। आखिरी गांव तक आने वाली बस यहां लाकर खड़ी कर दी गई थी और घरों के मुख्य दरवाजे बंद थे। थोड़ी दूर एक ढाणी में फोटाराम का परिवार जीरे की फसल ले रहा था। पूछने पर बताया कि कोरोना के चलते लोग घरों में ही रहते हैं। ऐसे में गांवों में लोग नजर नहीं आ रहे।

पढ़े-लिखे नहीं लेकिन जागरूकता खूब

यहां से आगे दूसरे गांव कृष्णा का तला में पूरा सन्नाटा पसरा था। तालसर में भी ऐसी ही स्थिति थी। यहां एक ढाणी में एक परिवार खेतीबाड़ी में व्यस्त था। ढाणी का दरवाजा बंद किया हुआ था, पूछने पर बताया कि बच्चे बाहर नहीं जाए, इसलिए दरवाजा बंद रखते हैं।

यहां खड़े मावजी ने बताया कि वह आठवीं पास है, खेतीबाड़ी करता है और कोरोना की जानकारी भी रखता है। उसने अपने परिवार व आसपास वालों को भी बता दिया है कि कोरोना से बचने के लिए एक-दूसरे से नहीं मिलें। गोहड़ का तला, बुरहान का तला आदि गांवों में लोगों की आवाजाही नजर आई, पूछने पर यहीं कहा कि जरूरी काम के कारण बाहर आ रहे हैं। आलमसर व सांवा में भी कम लोग दिखे।

कोनरा गांव तो पूरी तरह से लॉकडाउन

कोनरा गांव तो पूरा लॉकडाउन में ही नजर आया, यहां धोरों पर बसे गांव में लोग घरों में कैद थे। कमोबेश यही स्थिति रड़वा, नीम्बड़ी, सांवलोर, सांसियों का तला सहित कई गांवों में थी।

हर मुंह पर मास्क, सावधानी की सीख

पत्रिका की टीम जिस गांव से गुजरी वहां एक बात सामान्य दिखी कि लोग कोरोना को लेकर जागरूक नजर आए। हर गांव में लोगों ने मास्क, रूमाल, कपड़ा आदि से मुंह ढका हुआ था। वहीं, कई जगह तो लोग एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए भी थे।

खेतों में सोशल डिस्टेंस का ध्यान

- सीमावर्ती गांवों में वर्तमान में जीरा, ईसबगोल आदि फसलों की कटाई का दौर चल रहा है। इसमें भी लोग कोरोना को लेकर जागरूकता बरतते नजर आए। स्थिति यह है कि लोग मीटर-सवा मीटर की दूरी में अलग-अलग बैठकर काम कर रहे थे। वहीं, मुंह पर कपड़ा भी बांध रखा था।

बस कोरोना को हराना है

- लोगों से बातचीत में सबकी जुबां पर एक ही बात थी कि कोरोना भारत में ज्यादा नहीं फैले, इसलिए प्रधानमंत्री की अपील को ध्यान में रखते हुए घरों में ही रहना है और एक-दूसरे से दूरी बनाए रखनी है। हमें कोरोना को हराना है।


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