
No blame, do not make such a mistake in the future
गडरारोड सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर सड़क पर पोस्टमार्टम का मामला...
जांच रिपोर्ट में कोई दोषी नहीं, दी हिदायत कि भविष्य में नहीं करें ऐसी गलती
बाड़मेर . गत माह तामलोर में करंट से झुलसी दो महिलाओं की मौत प्रकरण में गडरारोड सीएचसी के बाहर खुले में सड़क पर पोस्टमार्टम करने के मामले की जांच रिपोर्ट को जिम्मेदारों ने गोलमोल करके प्रस्तुत कर दी। जांच कमेटी ने लापरवाह अधिकारियों का पूरा बचाव किया। उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया कि वे भविष्य में इस तरह की गलती नहीं करे। ऐसे में संदेह जताया जा रहा है कि जांच टीम ने किसी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश नहीं की। सभी को एक तरह से क्लीन चिट दे दी गई।
जांच रिपोर्ट के बारे में मुझे जानकारी नहीं
&उच्च अधिकारियों की ओर से जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट में क्या हुआ? यह मुझे जानकारी नहीं है। जांच रिपोर्ट के बाद मेरे पास प्रकरण को लेकर कोई पत्र नहीं आया है।
- कमलेश चौधरी, सीएमएचओ बाड़मेर
सड़क पर नहीं हुआ था पोस्टमार्टम
&दो महिलाओं के शवों पोस्टमार्टम में चिकित्सकों ने गोपनीयता को बनाए रखा है। उनके पास और कोई जगह भी नहीं थी। सीएचसी परिसर में पोस्टमार्टम हुआ था। आसपास व रिश्तेदारों के बयानों में ऐसा कुछ नहीं आया। सड़क पर पोस्टमार्टम नहीं हुआ था। मोर्चरी के लिए 6 लाख रुपए का बजट मिल चुका है। रिपोर्ट में चिकित्सकों को हिदायत दी गई है कि अब भविष्य में वे ऐसी गलती नहीं करें।
- संजीव जैन, स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निदेशक व जांच अधिकारी
यों हुआ था घटनाक्रम
गडरारोड सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दो महिलाओं के शवों का सड़क पर पोस्टमार्टम हुआ। इस बारे में जब कलक्टर को जानकारी मिली तो उन्होंने विभाग से इस संबंध में सवाल किए। चिकित्सा महकमे के अधिकारियों ने जवाब पेश करते हुए कलक्टर के सामने तथ्यों को तोड़मरोड पेश किया। जिसके बाद जिला कलक्टर शिव प्रसाद मदन नकाते ने इसकी जांच करवाने के लिए निदेशक स्वास्थ्य सेवा को अवगत करवाया। इसके बाद जांच कमेटी गठित हुई थी। मामले की जांच के लिए अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य सेवा की कमेटी गडरारोड पहुंची, लेकिन अब आई जांच रिपोर्ट में किसी भी अधिकारी व कार्मिक को दोषी नहीं माना है। स्वास्थ्य विभाग की जांच कमेटी में अतिरिक्त निदेशक सुनील कुमार, संयुक्त निदेशक सुशील परमार व सीएमएचओ कमलेश चौधरी शामिल थे।
यह था पूरा मामला
राजस्थान पत्रिका ने 27 सितंबर के अंक में रातभर मरीजों के पास बैड पर रहे शव और सुबह सड़क पर सास-बहू का पोस्टमार्टम समाचार प्रकाशित कर चिकित्सकों की लापरवाही को उजागर किया गया था। समाचार में उल्लेख किया गया कि तामलोर में करंट से झुलसी दो महिलाओं के शव रातभर मरीजों के बैड के पास रखे गए। इसके बाद दूसरे दिन दोनों शवों का सड़क पर खुले में पोस्टमार्टम किया गया। मानवीय संवेदना को शर्मशार करने का मामला सामने आने के बाद पोस्टमार्टम पर सवाल खड़े हुए।
Published on:
01 Nov 2018 01:09 pm
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