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ज्ञान की दिशा में वर्द्धमान बने संघ : आचार्य महाश्रमण

ज्ञान की दिशा में वर्द्धमान बने संघ : आचार्य महाश्रमण बालोतरा. आज वर्द्धमान महोत्सव का प्रथम दिन है। संघ ज्ञान की दिशा में वर्धमान बने । यह बात तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कही। वे नगर में सोमवार को वर्द्धमान आदर्श विद्या मंदिर में बने वर्द्धमान समवसरण वर्धमान महोत्सव मंगल शुभारम्भ अवसर पर मौजूद श्रावकों को प्रवचन दे रहे थे।

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बालोतरा. वर्द्धमान महोत्सव के तहत कार्यक्रम में प्रस्तुतियां देतीं बालिकाएं तथा प्रवचन देते आचार्य महाश्रमण।

बालोतरा. वर्द्धमान महोत्सव के तहत कार्यक्रम में प्रस्तुतियां देतीं बालिकाएं तथा प्रवचन देते आचार्य महाश्रमण।

ज्ञान की दिशा में वर्द्धमान बने संघ : आचार्य महाश्रमण

बालोतरा. आज वर्द्धमान महोत्सव का प्रथम दिन है। संघ ज्ञान की दिशा में वर्धमान बने । यह बात तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कही। वे नगर में सोमवार को वर्द्धमान आदर्श विद्या मंदिर में बने वर्द्धमान समवसरण वर्धमान महोत्सव मंगल शुभारम्भ अवसर पर मौजूद श्रावकों को प्रवचन दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि आदमी स्वयं के साथ दूसरों के प्रति भी मंगलकामना करता है। यदि कोई किसी के प्रति अंतर्मन से मंगलकामना करे तो बड़ी उदारता की बात हो सकती है। जिस प्रकार पहले छोटी दीपावली और फिर बड़ी दीपावली होती है। उसी प्रकार हमारे धर्मसंघ में मर्यादा महोत्सव जैसे बड़े महोत्सव से पूर्व मानो छोटी दीपावली की भांति यह वर्द्धमान महोत्सव मनाया जाता है। आज के स्थान का नाम भी वर्द्धमान है। लोगस्स के पाठ में भी भगवान महावीर नहीं, वर्द्धमान नाम प्रयोग किया गया है। तीर्थंकर वर्द्धमान जो जैन शासन के उन्नायक हैं, इस महोत्सव के साथ मंगल के रूप में उनका नाम जुड़ गया है। वर्द्धमान का अर्थ बढ़ता हुआ होता है।

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि चतुर्मास के बाद गुरुकुलवास में साधु-साध्वियों समणियों के आने से संख्या में वृद्धि होती है। वर्तमान में यहां गुरुकुलवास में 106 साध्वियां, 45 संत और 29 समणियां हैं। शासन में साधु-साध्वियों व मुमुक्षुओं की संख्या वृद्धि हों। उन्होंने पहले भी मुमुक्षुओं को ऐसी अनुप्रेक्षा करने के लिए कहा था। संख्या के साथ गुणवत्ता भी हों। हमारे चतुर्विध धर्मसंघ में ज्ञान वर्द्धमान हों, ऐसा प्रयास होना चाहिए। महाप्रज्ञ श्रुताराधना पाठ्यक्रम के माध्यम से ज्ञान की वर्द्धमानता हो सकती है। अन्य कई संघीय कोर्स भी उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि भाषण देने की कला और विद्वता का भी विकास हो। स्वाध्याय, मनन, अनुप्रेक्षा के माध्यम से ज्ञान का विकास हों। उन्होंने उपस्थित साधु, साध्वियों व समणियों को विशेष प्रेरणा देते कुछ को एक वर्ष के लिए सप्ताह में एक दिन दसवेआलियं का पाठ, स्वाध्याय करने, ऐच्छिक साधु-साध्वियों व समणियों को प्रतिदिन दसवेआलियं का स्वाध्याय करने का संस्कृत भाषा में संकल्प करवाया।

इससे पहले सुबह दस बजे आचार्य के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ वर्ष 2023 के वर्द्धमान महोत्सव का शुभारंभ किया गया। समणीवृंद ने गीत का संगान किया।

कार्यक्रम में कमिश्नर अशोक कोठारी, साध्वी विजयप्रभा, साध्वी जिनबाला, साध्वी शताब्दीप्रभा, साध्वी कलाप्रभा, समणी संचितप्रज्ञा, मुमुक्षु प्रियंका ओस्तवाल, मुमुक्षु दी प्त् िवेदमूथा, ओसवाल समाज अध्यक्ष शांतिलाल डागा, महिला मण्डल अध्यक्ष निर्मला संकलेचा ने अभिव्यक्ति दी। संसार पक्ष में बालोतरा से संबद्ध समणीवृंद , मुमुक्षुवृंद संयुक्त रूप में, साध्वियों, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद व मुमुक्षु रक्षा ओस्तवाल ने गीत के माध्यम से पूज्य चरणों की अभ्यर्थना की। टीना श्रीश्रीमाल ने आचार्य से 25 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। साढ़े तीन घंटे इस आयोजन में बालोतरा, जसोल व पचपदरा सहित आसपास के गांवों से हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। लोगों में कार्यक्रम को लेकर उल्लास नजर आया।


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