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छह महीने बाद पहली बार बच्चों के लिए खुले स्कूल के दरवाजे, इंतजार ही करते रहे शिक्षक

locationबाड़मेरPublished: Sep 21, 2020 09:14:10 pm

Submitted by:

Mahendra Trivedi

मागदर्शन के लिए बच्चों का इंतजार ही करते रहे शिक्षक-बहुत ही कम संख्या में बच्चे पहुंचे स्कूल-कोविड के भय से अभिभावकों ने नहीं भेजा विद्यालय-छह महीने बाद पहली बार बच्चों के लिए खुले स्कूल के दरवाजे

छह महीने बाद पहली बार बच्चों के लिए खुले स्कूल के दरवाजे,  इंतजार ही करते रहे शिक्षक

छह महीने बाद पहली बार बच्चों के लिए खुले स्कूल के दरवाजे, इंतजार ही करते रहे शिक्षक

बाड़मेर. राजकीय और निजी स्कूल सोमवार को मार्गदर्शन के लिए खुले जरूर, लेकिन बच्चों की संख्या काफी कम ही रही। सरकारी में तो शिक्षक बच्चों का इंतजार ही करते रहे। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कक्षा 9-12 तक के बच्चों को केवल मार्गदर्शन के लिए सोमवार से स्कूल खुले।
करीब छह महीने बाद खुले स्कूलों की विरानगी सोमवार को भी गुलजार नहीं हो पाई। बच्चों की संख्या शिक्षण संस्थानों में नगण्य ही रही। अभिभावकों की लिखित अनुमति के साथ स्वैच्छिक रूप से स्कूल आने के निर्णय के चलते बच्चे कम ही स्कूल पहुंचे।
इंतजार करते रहे शिक्षक
सरकारी स्कूलों में शिक्षक बच्चों का इंतजार ही करते रहे। स्कूलों में सोशल डिस्टेंस को अपनाते हुए कक्षाओं में छह-छह फीट की दूरी रखते हुए बेंच आदि लगाए गए थे। साथ ही सेनेटाइजर व हाथ धोने के लिए साबुन-पानी की व्यवस्था थी। लेकिन बच्चे ही नहीं पहुंचे और जो आए वे अपने साथ पूर्व निर्देशानुसार मास्क पहनने के साथ सेनेटाइजर साथ लेकर आए थे।
मास्क के साथ स्कूल में एंट्री
नो-मास्क नो-एंट्री का नियम स्कूल प्रबंधन ने लागू कर दिया था। ऐसे में जो बच्चे स्कूल आए वे मास्क पहनकर पहुंचे। हालांकि ऑनलाइन पढाई चलने के कारण स्कूल आने वालों की संख्या पर असर पड़ा।
कोविड के भय ने रोकी स्कूल की राह
अभिभावकों को कोरोना महामारी का बच्चों को लेकर ज्यादा डर है। इसलिए अधिकांश अभिभावकों ने अनुमति के फार्म तो भर दिए फिर भी स्कूल नहीं भेजा। पढाई खराब होने की चिंता नहीं है, लेकिन संक्रमण का खतरा अभिभावकों को ज्यादा भयभीत कर रहा है।
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