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भारत व पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध में शहीद हुए 17 रेलवे कार्मिकों की याद में गडरारोड के पास स्थित शहीद स्मारक पर गुरुवार को मेला आयोजित होगा। सेना के लिए रसद व सैन्य सामग्री पहुंचाने के लिए पटरियां ठीक करने और रेल लेकर पहुंचने में ये कार्मिक नहीं होते तो सेना को काफी मुश्किल होती। रेलवे 51 वर्ष से इनकी याद में शहीद मेला आयोजित कर रही है। कर्तव्यनिष्ठा व देश के लिए शहीद होने वाले इन 17 शहीदों की याद में गडरारोड के पास स्थित शहीद स्मारक पर गुरुवार को मेला आयोजित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाएंगे।
बमबारी में हो गए शहीद
सितम्बर 1965 के प्रारम्भ में ही युद्ध के दौरान भारतीय रणबांकुरे पाकिस्तान की सेना पर भारी पडऩे लगे। भारतीय सेना ने गडरारोड से 14 किमी अन्दर गडरासिटी पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान की सेना बौखला गई एवं उसने 9 सितंबर को गडरारोड को हवाई हमले से निशाना बनाना प्रारंभ किया। गडरारोड रेलवे स्टेशन पर बमों की बारिश प्रारंभ कर दी। इसी दिन बमबारी के बीच लोको चालक चुन्नीलाल रसद व सैन्य सामग्री लेकर गडरारोड पंहुचे। पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रही बमबारी से गडरारोड रेलवे स्टेशन से तीन किमी पहले बाड़मेर की तरफ रेलमार्ग क्षतिग्रस्त हो गया। इस रेलमार्ग को युद्ध के लिहाज से समय पर दुरुस्त करना रेलवे के लिए चुनौती बन गया था। यहां पर रेल पथ निरीक्षक चेतनराम सारण ने बमबारी के बावजूद साहस व कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते हुए वैकल्पिक मार्ग बनाने का कार्य रेलकर्मियों के साथ प्रारम्भ करवाया। इस दौरान पाक की तरफ से की गई बमबारी में रेलवे के 14 कार्मिक मौके पर ही शहीद हो गए।
दूरसंचार प्रणाली हो गई थी क्षतिग्रस्त
10 सितंबर 1965 को लोको ड्राइवर चुन्नीलाल, फायरमैन माधोसिंह व चिमनसिंह रात दस बजे इंजन लेकर बाड़मेर के लिए रवाना हुए। भारी बमबारी से रेलवे की दूरसंचार प्रणाली क्षतिग्रस्त होने से गडरारोड से तीन किमी पहले खतरनाक गोलाई पर रामसर से गडरारोड की तरफ आ रही मालगाड़ी से आमने-सामने टक्कर हो गई। भिड़न्त में इंजन में सवार तीनों कार्मिक भाप के लिए तैयार होने वाले उबलते पानी की चपेट में आने के बाद शहीद हो गए।
शादी के 20 दिन बाद शहीद
रेलवे में फायरमैन शहर के हमीरपुरा निवासी माधोसिंह गहलोत पुत्र जगमालसिंह 10 सितम्बर 1965 को शहीद हो गए थे। उम्र महज 22 वर्ष थी एवं शादी के सिर्फ बीस दिन ही हुए थे। उनकी वीरांगना हासी देवी को पेंशन तो मिल गई लेकिन पुत्र नहीं होने से आश्रित को नौकरी नहीं मिल सकी। बुढापे का सहारा बनाने के लिए पुत्र गोद भी लिया लेकिन करीब एक दशक बाद भी इस गोद पुत्र को नौकरी नहीं मिल पाई।
बम के बीच ट्रेन लेकर पहुंचे
9 सितम्बर 1965 को बाड़मेर रेलवे स्टेशन से सेना के लिए रसद सामग्री लेकर प्रतापंचद रवाना हुए। बीच में पाकिस्तान की ओर से बमबारी होती रही लेकिन वे क्षतिग्रस्त पटरी पर से रेल लेकर गडरारोड़ पहुंचे। इस दौरान बम के छर्रे लगने से घायल हो गए। करीब दो माह तक जिंदगी ओर मौत के बीच जूझने के बाद वे स्वस्थ हुए। प्रतापचंद को कर्तव्यनिष्ठा व साहस के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन ने अशोक चक्र से सम्मानित किया
अर्पित करेंगे श्रद्धा सुमन
गडरारोड . नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलाईज यूनियन शाखा बाड़मेर की ओर से गडरारोड में शुक्रवार को शहीद मेले का आयोजन किया जाएगा। शाखा सचिव गजेन्द्रसिंह सियाग ने बताया कि गडरारोड-गागरिया रेलवे स्टेशन के मध्य बने शहीद स्मारकों पर शहीद हुए 17 रेल कर्मचारियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। शुक्रवार सुबह 9:30 बजे स्थानीय रेलवे स्टेशन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें अपर मण्डल रेल प्रबंधक, मण्डल अध्यक्ष महेन्द्र व्यास,मण्डल मंत्री मनोज परिहार, जिलाध्यक्ष गणपतसिह चौहान, जिलामंत्री गजेन्द्रसिंह सियाग सहित कई पदाधिकारी भाग लेंगे। वहीं बाडमेर, जसाई, खड़ीन, भाचभर, रामसर, गागरिया व सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण शहीदों को श्रद्धांजलि देने गडरारोड पहुंचेंगे।
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