
नगरपरिषद की विशेष बैठक में मंगलवार को पट्टा प्रकरण के बाद करीब दो साल से एक भी पट्टा जारी नहीं करने पर सभी पार्षदों ने आक्रोश जताया। बोले, पट्टा प्रकरण में गलती काॢमकों व इससे जुड़े अन्य लोगों की रही लेकिन अब पूरा शहर भुगत रहा है, यह गलत है। पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगरपरिषद बोर्ड इस संबंध में अपना स्पष्ट रुख नहीं बता रहा है। इस पर सभापति और आयुक्त दोनों ने सदन को आश्वस्त किया कि 20 दिन बाद बैठक आयोजित कर निर्णय किया जाएगा। शहर की समस्याओं का समाधान नहीं होने पर पार्षदों ने नाराजगी जताई।
पट्टा जारी नहीं होने की बात पर बैठक में जोरदार हंगामा हुआ। पार्षदों ने कहा कि इस तरह की बैठक का क्या औचित्य जिसमें पिछली बैठकों के निर्णय की पालना ही नहीं होती हो। जिम्मेदार अफसरों को खरी-खरी सुनाई। वहीं एजेण्डे अनुसार चर्चा होने से पहले ही आधे से ज्यादा पार्षद बैठक बीच में ही छोड़ रवाना हो गए। बैठक बीच में छोड़ कर जाने वालों में अधिकतर कांग्रेसी पार्षद थे। गौरतलब है कि नगरपरिषद में कांग्रेस का ही बोर्ड है। मनोनीत पार्षद जगदीश खत्री ने सवाल किया कि वर्ष में केवल दो बैठक ही क्यों हुई, छह बैठक होनी चाहिए। खत्री ने कहा कि नगर परिषद में भूमि नियमन की पत्रावलियों का अवलोकन क्यों नहीं करने दिया जा रहा है?
पार्षद रोचामल ने सभापति व आयुक्त को घेरते हुए कहा कि ऐसे कई आवेदक हैं जिसने अपनी फाइल को गुम होना बता कर डुप्लीकेट फाइल बनाई, जिस पर नगर परिषद ने कार्यवाही की। लेकिन कुछ दिन बाद आवेदक वहीं फाइल लेकन आता है। इस पर नगर परिषद कार्यवाही क्यों नही करती? इस पर आयुक्त ने कहा कि 10 दिन में फाइलों को सूचिबद्ध कर विज्ञप्ति जारी की जाएगी।
अधिशासी अभियंता-नेता प्रतिपक्ष आमने-सामने
नेता प्रतिपक्ष मदन चाण्डक ने कहा कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है। दो महीनों से जांच की मांग की जा रही है लेकिन कोई जांच ही नहीं हो रही। इस दौरान अधिशासी अभियंता ओमप्रकाश ढींढवाल व चाण्डक आमने-सामने हो गए। ढींढवाल ने कहा कि अगर सड़क गुणवत्ता में कोई कमी हुई तो मैं नौकरी छोड़ दूंगा। इस पर निर्णय किया गया कि सड़क निर्माण की जांच पीडब्ल्यूडी को सौंपी जाए। वहीं पार्षद बलवीर माली ने सभापति पर आरोप लगाते हुए कहा कि सभापति ने अपने चहेते को लाभ पहुंचाने के लिए एक ही ठेकेदार को सड़क निर्माण के टेंडर जारी कर दिए, जो अपनी मनमानी कर रहा है।
ये कैसा नाटक था, हमें भी बताआे
पार्षद बलवीर माली ने कहा कि नगर परिषद की पिछली बैठक में जब बोर्ड के सदस्यों ने निलंबित कर्मचारियों को बहाल करने की बात कही थी, तब निर्णय नहीं हुआ। बाद में नगर परिषद अपने स्तर पर तीन कर्मचारियों को बहाल करती है, फिर दो दिन रुक कर आदेश निरस्त किए जाते हैं। यह कैसा नाटक था, बोर्ड बैठक में बताएं। इस पर आयुक्त व सभापति कुछ भी जबाव नहीं दे पाए।
सभापति बोले-पाबंद करेंगे सफाईकर्मियों को
शहर में बदहाल सफाई व्यवस्था को लेकर पार्षदों ने बात की तो सभापति ने कहा कि सर्किल इंचार्ज अपनी मनमानी कर रहा है। सफाईकर्मी नियमित ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। इस पर सभापति ने निर्देश देते हुए कहा कि परिषद में बायोमैट्रिक मशीन लगाकर सफाईकर्मियों को पाबंद किया जाएगा। नगर परिषद में 320 कर्मचारी कार्यरत हैं। पाषर्द नरेशदेव सारण व बांकाराम ने पेयजल समस्या का मुद्दा उठाया।
बगैर कुछ बोले बैठक छोड़ चली 11 महिला पार्षद
नगर परिषद की विशेष बैठक में 13 महिला पार्षद मौजूद थी, लेकिन बैठक की शुरुआत में ही बिना कुछ बोले 11 महिला पार्षद बीच बैठक में उठ कर रवाना हो गईं। जबकि पार्षद रेणु दर्जी ने शहर की विभिन्न समस्याओं को मुखर किया।
एजेंडे पर चर्चा में शामिल हुए महज 15 पार्षद
स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना, एलईडी लाइट्स, संपत्ति विरूपण अधिनियम, दोहरी लेखा प्रणाली, बैलेंस शीट और ऑडिट आक्षेप, आवारा पशु व श्वानों पर नियंत्रण, राजस्व संसाधन को लेकर महज 15 पार्षदों की मौजूदगी में चर्चा हुई। शहर में कारेली नाडी, टाउन हॉल, स्टेडियम, शौचालय निर्माण को लेकर, वाहन खरीदारी, वार्डों में बने सुलभ कॉम्प्लेक्स की दुर्दशा सहित कई अन्य समस्याओं को लेकर चर्चा हुई। बैठक की शुरुआत में दिवंगत पार्षद दिलीपसिंह गोगादे को दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद नवनिर्वाचित व मनोनीत पार्षदों का स्वागत किया गया।
पिछली बैठक : दर्जन भर निर्णय, धरातल पर कुछ नहीं
नगर परिषद की पिछली साधारण बैठक में परिषद में एकल खिड़की शुरू करने, सफाईकर्मियों को उपकरण दिलाने, घर-घर कचरा संग्रहण, शहर में वॉटर लॉगिग की समस्या, पाइप लाइनों, नालियों की मरम्मत, सड़क निर्माण, अवैध अतिक्रमण हटाना, खाद्य सुरक्षा से वंचित लोगों के नाम जोडऩे, चारा घोटाला सहित अन्य कई मुद्दों पर निर्णय किए गए लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। इसके चलते नगर परिषद की प्रत्येक बैठक महज औपचारिकता बन कर रह जाती है।
Published on:
07 Dec 2016 05:46 pm
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