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जीरा की सबसे बड़ी समस्या अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग

जीरे पर एक दिवसीय समन्वित कीट एवं व्याधि प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

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जीरा की सबसे बड़ी समस्या अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग

जीरा की सबसे बड़ी समस्या अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग


बाड़मेर. कृषि विज्ञान केंद्र गुडामालानी में जीरे पर एक दिवसीय समन्वित कीट एवं व्याधि प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. प्रदीप पगारिया ने कहा कि बाड़मेर में जीरा रबी की मुख्य नकदी फसल है जिसमें सबसे बड़ी समस्या वर्तमान में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग करना है जिसकी वजह से धीरे-धीरे बाड़मेर के जीरे की गुणवत्ता खराब हो रही है।

गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग के साथ साथ ही जैविक कृषि को ज्यादा से ज्यादा अपनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आइटीसी के (ए.बी. डी.) उपाध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा कि बाड़मेर के जीरे की मांग इसकी खुशबू और अधिक तेल की मात्रा के कारण है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर इसकी गुणवत्ता को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है अतः इसके लिए हम सभी किसानों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

गिर्राज शर्मा ने कहा कि जीरे की फसल की निर्यात की अपार संभावना है साथ ही बाड़मेर की जीरे की गुणवत्ता को देखते हुए बाहरी देशों में इसकी काफी मांग है । डॉ. हरिदयाल चौधरी ने कहा कि भारत के जीरे को अधिक से अधिक निर्यात करने के लिए जीरे की जैविक व आई.पी.एम. खेती की आवश्यकता है इस को ध्यान में रखते हुए किसानों को जिले में आवश्यकतानुसार पेस्टिसाइड का प्रयोग करना चाहिए। गंगाराम माली, डॉ.बाबूलाल जाट, डा. रावता राम भाखर उपस्थित रहे।

इस दौरान विभिन्न गांवों से आए किसानों को जीरा फसल को लेकर जानकारों ने महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।