बाड़मेर के गडरारोड़ इलाके में पत्रिका टीम पहुंची तो यहां गर्मी के मारे बुरे हाल थे। चारों तरफ रेत के धोरे और इन धोरों की रेत धूप में तपकर लाल हो चुकी थी। इसको देखकर ही लगता था कि यहां तो चमड़ी जल जाए। तब यह सूझा कि क्यों न यहां कुछ प्रयोग किए जाए। फिर क्या था, बीएसएफ के जवानों से कहा गया।
सेक लाए पापड़
बीएसएफ के जवानों ने बताया कि यहां धूप इतनी है कि रेत पर पापड़ सीक जाते है। सुनने में तो अचरज लगा लेकिन इसको क्यों न प्रेक्टिकल कर लिया जाए यह सोचकर पापड़ ले आए। यह पापड़ जवानों को दिए तो उन्होंने इनको रेत में डाल दिया और गर्म रेत पापड़ की ऊपर भी डाल दी और कुछ देर बात इनको रेत से निकाला तो ये तो सीक चुके थे।
48 डिग्री पहुंच जाता है तापमान
शहर में भले ही तापमान 46 डिग्री हों लेकिन यहां खुले धोरों में तापमान 48 डिग्री पहुंच जाता है। दोपहर के 2 बजे के करीब जब धूप पूरी रंगत में होती है तब यहां पर बाहर कदम रखना भी मुश्किल हो जाता है।
लू के थपेड़े अंगार बरसाते
यहां लू के थपेड़े अंगारे बरसाते है। हवाओं की इस गर्मी को सहना असहनीय हो जाता है। बीएसएफ के जवान इस गर्मी से बचने के लिए नींबू पानी का सेवन करते है और यहां पर उनको वॉच टॉवर पर भी छांव उपलब्ध करवाई जा रही है।
रात होती है ठण्डी
जहां यहां दिन की गर्मी 46 डिग्री पहुंच रही है रात की ठण्डक इतनी होती है कि सकून दे जाती है। रात में तापमान कम होने से ठण्डी बयार चलती है जो सकून की नींद मयस्सर करवाती है।