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मकान की दूसरी मंजिल नहीं बना सकता यह गांव, ऐसा क्यों?

वर्षों से रही परंपरा, डबल मंजिल मकान नहीं बना रहे -क्षेत्र के हड़वेचा गांव में एक भी नहीं है डबल मंजिल मकान

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मकान की दूसरी मंजिल नहीं बना सकता यह गांव, ऐसा क्यों?

मकान की दूसरी मंजिल नहीं बना सकता यह गांव, ऐसा क्यों?

वर्षों से रही परंपरा, डबल मंजिल मकान नहीं बना रहे

-क्षेत्र के हड़वेचा गांव में एक भी नहीं है डबल मंजिल मकान

शिव-उपखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर गूंगा जोगीदास धाम सड़क मार्ग पर स्थित राजस्व गांव हड़वेचा की एक अलग ही पहचान है, करीबन 500-600 वर्ष पूर्व बसे राजस्व गांव में प्रारंभ से दो जातियां ही निवास कर रही है यहां की आबादी भूमि में तीसरी जाति देवीय वरदान के कारण नहीं रह सकती है

गांव में चारण( रोहड़ीया) व दर्जी (गोयल) समुदाय के लोग स्थाई रूप से रह रहे हैं वर्तमान में करीबन 180 के लगभग परिवार निवास कर हैं गांव में 25-30 व्यक्ति राजकीय सेवा में सेवारत के साथ ही कुछ सेवानिवृत्त भी है दोनों समुदाय के अधिकांश परिवारों के सदस्य खेतीबाड़ी के साथ रोजगार के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में कार्य कर रहे हैं दर्जी समुदाय के अधिकांश लोगों का कार्य कपड़ा सिलना है वही चारण समुदाय के परिवार फर्नीचर बनाने के साथ ही स्वंय के भारी वाहनों से अपना कारोबार चला रहे हैं

नहीं बना रहे डबल मंजिल-गांव के निवासी सरकारी सेवा में कार्यरत के साथ ही कई परिवार साधन संपन्न भी हैं लेकिन वह अपने मकान पर डबल मंजिल या दूसरा मकान नहीं बना रहे हैI गांव के भंवरदान चारण व भगवानदास गोयल ने बताया कि दैवीय शक्ति देवल माता अपने पीहर मांडवा (जैसलमेर )से ससुराल खारोड़ाराय (पाकिस्तान )जा रहे थे उस दौरान बीच रास्ते हड़वेचा में रात्रि विश्राम किया जहां पर आज देवल माता का भव्य मंदिर बना हुआ है गांव के बुजुर्ग आशीर्वाद लेने वहां गये तब उन्हें कुछ बातें बताइए जिसमें उन्होंने कहा कि गांव में रहने वाले व्यक्ति मकान के ऊपर दूसरा मकान न बनावे ,अपने पहले (मौभी) पुत्र के कान न बिदावें, भैंस के दूध का सेवन नहीं करें व आबादी भूमि में बैर का पौधा नहीं लगावे, इन नियमों की पालना करने पर गांव की बहु व बेटी कभी विधवा नहीं होगी जिसके कारण दर्जी जाति के गोयल वंश के परिवार मकान के ऊपर दूसरा मकान नहीं बनवाने के साथ ही दैवीय शक्ति द्वारा बताई बातों पर चलने का प्रयास कर रहे हैं


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