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ट्रबो चालकों की जुबानी, सात सौ किमी के सफर में चाय ना पानी

- हिसार से अठारह घंटे तक सफर कर पहुंचा रहे बाड़मेर में गेहूं- यहां भी बाजार बंद, आधा खाना खाने को मजबूर

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ट्रबो चालकों की जुबानी, सात सौ किमी के सफर में चाय ना पानी

ट्रबो चालकों की जुबानी, सात सौ किमी के सफर में चाय ना पानी



दिलीप दवे
बाड़मेर. कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के बीच बिना चाय-पानी व खाने के अठारह घंटे ट्रबो चलाकर वे बाड़मेर पहुंचते हैं, जिस कारण यहां की जनता को लॉक डाउन में भी गेहूं की कमी नहीं आ रही।यह कहानी है हिसार से आने वाले ट्रबो चालकों की जो खुद भूखे-प्यासे रहकर भी समय पर बाड़मेर में अनाज की आपूर्ति कर रहे हैं। स्थिति यह है कि वे घर े से खाना खाकर रवाना हुए और बाड़मेर पहुंचने के बाद निवाला लिया।
हिसार, हरियाणा से बाड़मेर की दूरी करीब सात सौ किमी है। आमदिनों जब सडक़ों पर वाहनों की आवाजाही होती है तो वहां से गेहूं का ट्रक करीब दो दिन में बाड़मेर पहुंचता है। ट्रबो चालक बीच में कई जगह चाय-नाश्ते व खाने के लिए रूकते हैं, लेकिन अब स्थिति अलग है। देश में लॉक डाउन है, इसलिए बीच रास्ते में ना तो कोई होटल खुला है और ना ही कोई रुकने का स्थान। घर से खाना खाकर वे रवाना होते हैं तो फिर बाड़मेर आकर ही निवाला ले पाते हैं। बीच में पानी भी नहीं मिल रहा, ऐसे में अपने साथ जो पांच-दस लीटर का कैम्पर होता है, उसी से काम चलाते हैं। चाय के लिए दूध मिल रही ना ही शक्कर। बावजूद इसके मजदूरी की मजबूरी के बीच लोगों को खाने के लिए अनाज की कमी नहीं रहे यह सोच ये लोग सफर कर रहे हैं। यहां आने पर भी आसपास कोई दुकानें खुली नहीं होने पर दिक्कत आ रही है।
दिक्कत की कहानी चालकों की जुबानी- ट्रबो चालक सतबीरङ्क्षसह, बलवीरङ्क्षसह, जोगेन्द्रसिंह ने बताया कि लॉक डाउन के चलते रास्ते में कोई मदद करने वाला भी नहीं मिलता। एक साथ पांच ट्र्रबो लेकर निकलते थे, दस जने हैं। ऐसे में वाहन खराब हो या फिर छोटी-मोटी समस्या, एक-दूसरे का ही सहारा बने। बीच में पानी खत्म होने पर दूसरे ट्रबो चालक से पानी लेकर प्यास बुझानी पड़ी। लोग है नहीं और जहां कोई दिखता भी है तो बाहर वाले होने से पास भी नहीं आ रहे। ऐसे में पानी पिलाए भी तो कौन। मुख्य सडक़ों पर होटलें, ढाबे, चाय की थडिय़ां आदि बंद होने से कुछ भी नहीं मिल रहा। वहीं, पुलिस बिना काम खड़े रहने पर मना करती है। ऐसे में लगातार ट्रबो चला कर यहां पहुंचना पड़ा।
यहां भी लग रहा वक्त- बाड़मेर के एफसीआई गोदाम में गेहूं उतारने में वक्त लग रहा हे। ऐसे में कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं इस बात की भी चिंता है कि आते वक्त को पानी व आटा-दाल साथ था अब खत्म हो गया तो फिर भूखा रहकर सफर करना पड़ेगा।
बाड़मेर में एफसीआइ गोदाम के आगे खाना बनाते ट्रक चालक।


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