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मिल रही थी आधी रोटी, कोरोना ने वो भी छीन ली…..

locationबाड़मेरPublished: Nov 26, 2020 09:54:31 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

– एक लाख महिलाओं पर दो जून रोटी का संकट- जिनका मानदेय मामूली, सरकार उनको भूली

मिल रही थी आधी रोटी, कोरोना ने वो भी छीन ली.....

मिल रही थी आधी रोटी, कोरोना ने वो भी छीन ली…..

केस-1
बाड़मेर के गांधी नगर निवासी पेप्पों देवी पत्नी राजकीय प्राथमिक विद्यालय गांधी नगर में लगी हुई है। पेम्पों देवी के पांच लड़कियां व एक लड़का है। लॉक डाउन में मानदेय नहीं मिला है। पैसे की तंगी के चलते बेटे जुंझारसिंह को भी आठवीं तक ही पढ़ा पाई है। 13 साल पहले पति की मौत होने के बाद परिवार का खर्चा वही चला रही है।
केस-2
बाड़मेर के शास्त्री नगर निवासी पपू देवी व उनकी सासु धापुदेवी राउमा विद्यालय संख्या 4 में लगी हुई है। दोनों को ही लॉक डाउन के बाद मानदेय नहीं मिला है। दोनों महिलाओं के अब गुजारे के लिए मेहनत-मजदूरी का कार्य करना पड़ रहा है। वे कहती है कि उनको इतना कम मानदेय मिलता था,यह भी बंद कर देना गलत है।
केस-3
राजकीय प्राथमिक विद्यालय शरणाथर््िायों की बस्ती में लगी लीला देवी के पति की मौत 13 साल पहले बिमारी के कारण हुई तब से वह कुक कम हेल्पर लगी हुई है। लीला के एक लडका है जिसे लीला पांचवी पास ही करा पाई। परिवार में बूढ़ी सास है उसका पालन पोषण भी उसके जिम्मे है। मामूली मानदेय नहीं मिलने से परिवार के लिए रोजी-रोटी का संकट है।
बाड़मेर पत्रिका.
कहावत है कि पूरी नहीं मिले तो आधी रोटी से ही गुजारा करने की हिम्मत गरीब महिलाएं रखती है और खुद भूखा रहकर परिवार को पालने का जज्बा मां के अलावा किसी के पास नहीं है लेकिन प्रदेश की ऐसी एक लाख मां है जिनके हिस्से की आधी रोटी भी कोरोना काल ने छीन ली है। सरकारी स्कूलों में कुककम हैल्पर का काम करने वाली 109922 महिलाओं को माचज़् माह के बाद मानदेय नहीं मिला है। इनका मानदेय 1320 रुपए मासिक है। स्कूल बंद होने के कारण मानदेय रोक दिया गया है,तकज़् है कि स्कूलों में खाना नहीं पक रहा है। महिलाओं का सवाल है कि स्कूल में भले ही चूल्हे बंद कर दिए है लेकिन उनके घर के चूल्हे थोड़े ही बंद हुए है। प्रदेश में इतने सारे लोगों की मानवता के नाते मदद हो रही है तो मामूली मानदेय पर गुजारा करने वाली इन महिलाओं को सरकार कैसे भूल गई है? कुककम हैल्पर के लिए चयनित हुई इन महिलाओं के लिए प्राथमिकता एकल, परित्यक्ता, विधवा, विकलांग और बीपीएल की थी, लिहाजा करीब 90 फीसदी महिलाएं ऐसे ही परिवारों से है जिनके लिए गुजाने का अन्य कोई प्रबंध नहीं था इसलिए हर स्कूल में प्रतिदिन 50 से 100 बच्चों का खाना पकाने का कायज़् इन्होंने करना स्वीकार किया था। कोरोना में मानदेय रोके जाने से अब ये संकट में है।
शीघ्र बजट जारी किया जाए
राज्य मे अल्प मानदेय भोगी कुक कम हेल्पर का अप्रैल माह से मानदेय बकाया है, इससे इनको आथिज़्क संकट का सामना करना पड़ रहा हैं । राज्य सरकार शीघ्र बजट जारी कर इन्हें भुगतान कर राहत प्रदान करें ।
– भेराराम आर भार, जिला प्रवक्ता, राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील
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