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काम सरकारी, खर्चा जेब से, भुगतान का पता नहीं

बीएलओ को चार साल से नहीं मिल रहा यात्राभत्ता, दैनिक भत्ता - बैठकों में उपस्थिति अनिवार्य, आने-जाने व खाने-पीने का खर्च बीएलओ कर रहे वहन  

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काम सरकारी, खर्चा जेब से, भुगतान का पता नहीं

काम सरकारी, खर्चा जेब से, भुगतान का पता नहीं

बाड़मेर. सरकारी काम और जेब से खर्चा करते-करते अब तो बीएलओ का धैर्य जवाब देने लगा है। कहने को तो हर बैठक के बाद वे यात्राभत्ता और दैनिकभत्ता बिल बना कर दे देते हैं, लेकिन भुगतान चार साल से नहीं हो रहा। एेसे में करीब तीन-सवा तीन करोड़ रुपए बीएलओ के जेब से खर्च हो चुके हैं। बूथ लेवल अधिकारी ( बीएलओ) चुनाव प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

उसके जिम्मे मतदान सूचियों का पुनरीक्षण, चुनाव के दौरान बूथ पर कार्यरत रहकर मतदान दलों का सहयोग करने, चुनाव आयोग की आेर से जारी विभिन्न आदेशों की क्रियान्विति करवाने सहित कई कार्य होते हैं।

इसको लेकर ब्लॉक स्तर पर हर साल पन्द्रह-बीस बार बैठकों का आयोजन होता है जिसमें उनकी उपस्थिति अनिवार्य होती है। सरकारी नियमानुसार आठ किमी की परिधि से बाहर आने वाले कर्मचारी को यात्राभत्ता देय होता है। वहीं, पूरे दिन उपस्थित रहने पर दैनिक भत्ता मिलता है जो उसकी तनख्वाह के आधार पर बनता है। जिले में बीएलओ को यह भत्ते करीब चार साल से नहीं मिले हैं। एेसे में अपनी जेब से आने-जाने का किराया व खाने-पीने पर खर्चा करके भी बीएलओ को सरकारी ड्यूटी निभानी पड़ रही है।

सवा तीन करोड़ खुद के खर्च- गौरतलब है कि जिले में करीब 2500 बीएलओ कार्यरत है। इनको हर साल विभिन्न बैठकों में आना पड़ा। इसके चलते उनकी जेब से करीब सवा तीन करोड़ रुपए अब तक खर्च हो चुके हैं। पिछले चार साल से उनको यात्राभत्ता नहीं मिला और ना ही दैनिक भत्ते का भुगतान हुआ है।

फील्डवर्क भी कठिन- बीएलओ का फील्डवर्क भी काफी कठिन है। मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के दौरान घर-घर, ढाणी-ढाणी जाकर लोगों को नाम जुड़वाने व कटवाने का संदेश पहुंचाना होता है। चुनाव से पहले अधिकतम मतदान को लेकर जनजागरूकता का कार्य भी करते हैं। चुनाव के दौरान बूथ पर उपस्थित रहकर मतदान प्रक्रिया पर भी नजर रख्ते हैं।

चार साल से नहीं मिला भुगतान- बीएलओ को पिछले चार साल से यात्राभत्ता व दैनिकभत्ता नहीं मिला है। करीब सवा तीन करोड़ रुपए अटके हुए हैं। अपनी जेब से राशि खर्च कर सरकारी बैठकों में आना पड़ता है।- बांकाराम सांजटा, प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ

बजट आने पर होता भुगतान- निर्वाचन आयोग से बजट आने पर भुगतान हो रहता है। हाल ही में करीब ७० लाख का भुगतान किया गया है। जैेसे बजट आएगा तो भुगतान किया जाएगा।- ओ पी विश्नोई, अतिरिक्त जिला कलक्टर बाड़मेर


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