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‘पत्रिका मास्टर की’…राइटिंग वन्स इज रीडिंग ट्वाइस

- पत्रिका मास्टर की

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बाड़मेर. अंग्रेज़ी में कहावत है 'राइटिंग वन्स इस रीडिंग ट्वाइस' अर्थात एक बार लिखना दो बार पढऩे के बराबर होता है। लिख कर अभ्यास सबसे अच्छा है। समय की उपलब्धता को देखते हुए रोज़ अपने लिए लक्ष्य तय करें।

एक साथ बहुत कुछ तैयार करने के खुद से किए वादे अक्सर टूट जाते हैं। इसलिए लक्ष्यों को छोटे छोटे हिस्सों में बांटना उचित रहता है।

अगर आप दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ते हैं तो ब्रेक में उन विषयों पर चर्चा करें। बातचीत और चर्चा से हमें ज़्यादा समझ आता है। एक दूसरे से छोटे छोटे प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं।

परीक्षा में मोबाइल को ऐसे बनाएं अपना साथी

हमारी याददाश्त में आंख के साथ कान भी बहुत अहम भूमिका अदा करते हैं। इसलिए कुछ प्रश्नों के उत्तर मोबाइल पर ही रिकॉर्ड कर और फ्री या ब्रेक में बार-बार सुने जा सकते हैं। सुनने से भी याददाश्त बढ़ती है।

एक दिन पहले कर लें ये तैयार

परीक्षा के एक दिन पहले एडमिट कार्ड, पेन पेंसिल आदि सामान को ध्यान से रख लें। जिससे परीक्षा वाले दिन सुबह का एक-एक सैकंड सिर्फ आपका हो और ढूंढने की समस्या न बने।

परीक्षा में मूलमंत्रों का रखे ध्यान

-परीक्षा के समय प्रश्न पत्र को गौर से पढ़ें, प्रश्नों को समझें और उसके अनुकूल ही उत्तर लिखें। जो अच्छे से आ रहा है उसे पहले करें। उलझन वाले प्रश्नों में समय बर्बाद न करें

-प्रश्नों के अंक और अपेक्षाएं पढ़ें। 2, 5,और 10 अंकों के उत्तर लिखते समय हमें अंकों के अनुकूल ही विस्तार देना चाहिए। प्रश्न-पत्र में मुश्किल प्रश्नों के हल के लिए 'अब कैसे होगा ? के बजाय यह सोचें कि कैसे हो सकता है।


-परीक्षक सिर्फ आपके याद किए हुए उत्तरों को नहीं बल्कि अलग ढंग से लिखे गए उत्तरों को ज़्यादा तवज्जो देते हैंं। परीक्षार्थियों को चाहिए प्रश्न पत्र की अपेक्षा के मुताबिक़ उनके जवाब लिखें।

सबसे खास बात

प्रश्न पत्र की तैयारियों में हमेशा ध्यान रखें कि केवल अंक नहीं आपकी समझ महत्वपूर्ण है। यदि कोई पेपर खराब हो गया है तो उसकी चिंता में घुल-घुल कर दूसरे पेपर खराब करने में समझदारी नहीं है।

परीक्षाएं कभी बंद नहीं होतीं

ध्यान रहे जि़ंदगी किसी क्लास के नंबरों से रुकती या बढ़ती नहीं है। पर हां परीक्षाएं हमारी तैयारियों को परखने और अपनी दिशा पहचानने का अवसर देतीं है। और हमें चाहिए हम मुकाबलों में हर बार पहले से बेहतर साबित हों। क्योंकि परीक्षाएं कभी बंद नहीं होतीं।

-मुकेश पचौरी

एसोसिएट प्रोफेसर, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बाड़मेर


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