
सावन में सूखे से चिंतिंत किसानों की फड़का ने उड़ाई नींद
शाहपुरा।
सावन माह सूखा निकलने से चिंतिंत किसानों की फड़का कीट ने नींद उड़ा दी है। क्षेत्र में पिछले माह हुई बारिश के बाद फड़का कीट का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। शाहपुरा, कोटपूतली, पावटा, विराटनगर व जमवारामगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र में सैंकड़ों हैक्टेयर में फसल फड़के की चपेट में है और दिनोंदिन प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इससे बाजरे की फसल अधिक प्रभावित है। कृषि विभाग की ओर से किए गए सर्वे के मुताबित चारों तहसील क्षेत्र में करीब 600 हैक्टयेर फसल में फड़का का प्रकोप है। फड़का कीट बाजरा, मक्का व ज्वार के पौधों के पत्तों को खाकर डंठल कर देता है। इससे पौधों की वृद्धि रूक जाती है। ऐसे में फसल चौपट होने की आशंका से किसान चिंतिंत है। हालांकि किसानों की समस्या को गंभीरता से लेकर कृषि अधिकारी सर्वे कर किसानों को नियंत्रण के उपाय बता रहे हैं, लेकिन कीट बढ़ा होने से नुकसान की आशंका बनी हुई है। किसान गोवर्धन जीतरवाल, बाबूलाल, कैलाश, चंदाराम चाहर, रामू लाम्बा, ओंकार देवन्दा, हरि नारायण समेत कई किसानों का कहना है कि सावन माह सूखा निकलने से किसान पहले से ही परेशान थे, अब फड़का कीट ने चिंता अधिक बढ़ा दी है। उल्लेखनीय है कि इस बार फसल बुवाई के दौरान अच्छी बारिश होने से किसानों को बम्पर पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन सावन माह में बारिश नहीं होने से खेतों में खड़ी खरीफ फसलें मुरझा रही है। रही सही कसर फड़का कीट पूरी कर रहा है। इससे किसान चिंता में है।
पांच पंचायत समिति क्षेत्र में 600 हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित
कृषि अधिकारियों के अनुसार शाहपुरा, कोटपूतली, पावटा, विराटनगर और जमारामगढ़ क्षेत्र में करीब 600 हैक्टयेर फसल में फड़का कीट का प्रकोप है। शाहपुरा के नवलपुरा, टोडी, उदावाला, शिवपुरी, धवली, म्हार खुर्द, नयाबास, परमानपुरा, सेपटपुरा, जगतपुरा, राडावास क्षेत्र में फड़का का प्रकोप है। विराटनगर के भामोद, पालड़ी, नौरंगपुरा, जयसिंहपुरा, गोविन्दपुरा धाभाई, लुहाकना कला, छींतोली, पावटा क्षेत्र के टसकोला, भोनावास, दांतिल, गुलाबगढ़, सुन्दरपुरा में फड़का अधिक है। यह कीट बाजरा, ज्वार व मक्का के पौधों के पत्तों को चट कर जाता है। बाजरे की फसल में अधिक प्रकोप है।
किसानों को फड़का नियंत्रण के बताए उपाय
सहायक निदेशक कृषि विस्तार क्षेत्र के कृषि अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर किसानों को फड़का नियंत्रण के उपाय बताए हैं। कृषि अधिकारी शाहपुरा रामजीलाल यादव, सहायक कृषि अधिकारी राडावास गिरधारी लाल जाट, कृषि पर्यवेक्षक हरिप्रसाद कुलदीप, महेन्द्र जाट व अन्य संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्र के किसानों को फड़का नियंत्रण के उपायों की जानकारी दी। सेपटपुरा में भी किसानों को बचाव के उपाय बताए गए।
खेत के चारों तरफ खाई खोदकर दवा छिड़काव की सलाह
कृषि अधिकारी यादव ने बताया कि फड़का कीट की शिशु अवस्था में ही बचाव नियंत्रण कारगर है। खेत के चारों तरफ विशेष रुप से खरपतवार वाली जगह 30 से 35 सेमी चौड़ी और 60 सेमी गहरी खाइयां खोदे। इन खाइयों और खरतवार में क्यूनाल फॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या मिथाईल पेराथीयान 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टेयर में छिड़काव करंे। प्रभावित क्षेत्र में तेज रोशनी के नीचे चौड़ी परात में केरोसीन मिला पानी रख दें, जिसमें कीट इकट्ठे होकर नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मेडबंदी पर घास-फूस को जलाकर नष्ट करने से भी फड़का को रोका जा सकता है।
फड़का से पौधे की रुक जाती है वृद्धि
फड़का बाजरा, मक्का व ज्वार की फसल में लगने वाला कीट है, जो पौधे की पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। पत्तियों के खाने से पौधे की वृद्वि रुक जाती है। बाजरे के पौधे को पत्तियों के माध्यम से प्रकाश संश्लेषण क्रिया से पोषण मिलता है। पोषक तत्व नहीं मिलने से फसल कमजोर होती है। जिसका उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
लार्वा के रूप में विकसित होता है कीट
कृषि अधिकारियों के मुताबिक खरीफ फसल के उपरान्त यह कीट अपने अंड़े जमीन के अंदर छोड़ देता है। बाद में मानसून की बारिश के 15-20 दिन बाद लार्वा के रूप में विकसित होकर इस कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है, जो अक्टूबर माह तक रहता है। यदि शिशु अवस्था में इसका नियंत्रण नहीं किया तो प्रौढ़ अवस्था में यह फसल को नष्ट कर देता है। किसान ग्रीष्म कालीन जुताई करके भी फड़के पर नियंत्रण पा सकते हैं।
इनका कहना है---
क्षेत्र में फड़का कीट का प्रकोप है, लेकिन अभी आर्थिक नुकसान जैसी स्थिति नहीं है। क्षेत्र में सर्वे कर प्रभावित इलाके के किसानों को फड़का कीट नियंत्रण के उपाय बताए जा रहे हैं। दवाई का अधिक छिड़काव भी नुकसानदायक है, इसलिए प्राकृतिक रुप से नियंत्रण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। -------गिरधर सिंह देवल, सहायक निदेशक कृषि विस्तार शाहपुरा
Published on:
18 Aug 2018 10:03 pm
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