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ढूंढ नदी की रपट पर बहे तो ढूंढना ‘मुश्किल’

बारिश के मौसम में हर साल कानोता बांध के ओवरफ्लो होने के बाद ढूंढ नदी में पानी का वेग बढ़ जाता है।

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– पुलिया बने या लगे रेलिंग: कानोता बांध की चादर चलने पर बढ़ता है पानी का वेग

बस्सी.बारिश के मौसम में हर साल कानोता बांध के ओवरफ्लो होने के बाद ढूंढ नदी में पानी का वेग बढ़ जाता है। नदी पार करने वाली कई सड़कों पर बनी भूमि स्तर की रपटों पर बहने से कई जान चली गई तो कई बाल-बाल बच भी गए। बारिश के मौसम में पानी का वेग बढ़ने से शहर सहित कई गांवों का सम्पर्क तक टूट जाता है। रपट पर बहाव तेज होने के बाद भी सड़क पार करने पर कई लोगों की जान जा चुकी है।

गत दिनों ढूंढ नदी में चाकसू इलाके में गरूड़वासी-रिंग रोड पर एक जना बाइक से पत्नी के साथ जा रहा था। पानी में बाइक के साथ पति- पत्नी बह गए, जिसमें लोगों ने पति को तो बचा लिया, लेकिन पत्नी की बहने से मौत हो गई। गत वर्ष ढूंढ नदी में सांभरिया-बाड़ापदमपुरा सड़क मार्ग पर रील बनाते समय युवक बह गया था, जिसको लोगों ने बचा लिया था। इसी प्रकार कानोता के पास नदी में मछली पकड़ने घुसे तीन जनों की मौत हो गई थी। इनके अलावा भी कई हादसे हो चुके हैं। इसके बाद भी सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं जेडीए अनदेखी कर रहा है।(कासं)

जयपुर से कट जाता है सम्पर्क …..

बारिश के मौसम में ढूंढ नदी के पानी का वेग बढ़ जाता है तो सड़कों पर बनी रपट नीची होने के कारण इनसे गुजरने वाले लोगों का आवागमन बाधित हो जाता है। करीब 12 से अधिक​सड़कों से रिंग रोड व अन्य कस्बों का आवागमन बाधित हो जाता है।

मिट्टी खनन से उबड़खाबड़ हो गई नदी…

ढूंढ नदी में बजरी का अवैध खनन तो नहीं है, लेकिन जयपुर विस्तार के कारण लोग इस नदी से मिट्टी का अवैध खनन करते हैं। यही कारण है नदी में जगह-जगह गहरे गड्ढे बने हुए हैं। इनमें बरसात के मौसम में पानी भर जाता है। जब नदी में पानी का वेग बढ़ जाता है तो गड्ढे नजर नहीं आते हैं। बरसात के मौसम में जब कई बार लोगों के बहने की वारदात हो जाती है तो नदी में बने इन गड्ढों फंसने के कारण मिलना मुश्किल हो जाता है।

संकेतक से चला रहे काम ….

ढूंढ नदी में बारिश के मौसम में सड़कों पर बनी रपटों पर होने वाले हादसों को रोकने के जो सड़कें सार्वजनिक निर्माण विभाग और जेडीए की है। उन रपटों पर रेलिंंग लगाई जानी चाहिए या फिर जहां खतरा रहता है वहां पाइपों वाली पुलिया बनानी चाहिए, ताकि हादसों पर अंकुश लग सके। जबकि विभाग ने सड़क पर संकेतक बोर्ड लगाकर इतिश्री कर रखी है।

पानी के बहाव से जम जाती है काई….

नदी पार कर रही सड़कों पर नदी में सभी जगह सीमेंटेड़ रपट बनी हुई। रपट लम्बे समय तक पानी बहाव के कारण काई (शैवाल) जम जाती है। रपटों पर काई जमने से फिसलन हो जाती है। पानी के बहाव में दुपहिया वाहन चालक या राहगीर निकलते हैं तो फिसलन होने से गिर जाते है।

यहां-यहां है ढूंढ नदी में रपट….

1. कानोता बांध के नीचे।

2. सिंदौली : कानड़वाससड़क मार्ग।

3. सिंदौली : रिंग रोड मार्ग।

4. सांख : रिंग रोड सड़क मार्ग।

5. बिशनसिंपुरा : सांभरिया- कानोता-रिंग रोड मार्ग।

6. सांभरिया : बराला सड़क मार्ग।

7. सांभरिया : बाड़ापदमपुरासड़क मार्ग।

8. सांभरिया : शिवदासपुरा सड़क मार्ग।

9. हरिरामपुरा : बापूगांव।

10. छांदेलसड़क मार्ग।

11. गरूड़वासी : रिंग रोड सड़क मार्ग।

12. हिंगोनिया : रिंग रोड सड़क मार्ग।