
संस्थागत प्रसव
शाहपुरा/विराटनगर. संस्थागत प्रसव के सरकारी लक्ष्य को पूरा करने में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं, पर्याप्त स्टाफ और चिकित्सकों की सुविधा वाले कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी सुस्ती का जंग लगा हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो क्षेत्र की कई पीएचसी मेंं प्रसव का आंकड़ा शून्य है तो सीएचसी मनोहरपुर और अमरसर भी अपना सरकारी लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण महिला चिकित्सक का नहीं होना है। क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं, सीएचसी अमरसर व मनोहरपु र में भी महिला चिकित्सक नहीं। महिला चिकित्सक के अभाव में गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने में परेशानी आ रही है। जिसके कारण उनको निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है। अस्पतालों में महिला चिकित्सक नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रसव लिए भी महिलाओं को दूर-दराज अन्य अस्पतालों में जाना पड़ता है। क्षेत्र के सामुदायिक चिकित्सालय अमरसर व मनोहरपुर में कई सालों से महिला चिकित्सक नहीं है। विडंबना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर महिला चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। जिससे महिलाओं को प्रसव के लिए शाहपुरा या जयपुर जाना पड़ता है।
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नाम मात्र के हो रहे प्रसव
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रति माह 5 प्रसव अनिवार्य है। वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सात प्रसव अनिवार्य है। जबकि उक्त पीएचसी में महिला चिकित्सक नहीं होने से नाम मात्र की डिलीवरी हो रही है। यहां पुरुष चिकित्सक ही डिलीवरी कराते हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाएं अन्य अस्पतालों की तरफ रुख कर लेती है। सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सा एवं आवश्यक सुविधाएं नहीं होने से झोलाछाप भी चांदी कूट रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मजबूरन झोलाछाप के जाल में फस कर उपचार ले रही है।.
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इनका कहना है
समय-समय पर सभी चिकित्सा प्रभारियों को लक्ष्य की पूर्ति के निर्देश दिए जाते हैं। लोगों ने पीएचसी स्तर पर भी महिला चिकित्सक लगवाने की मांग की है जिस संबंध में विभाग को अवगत कराया जाएगा।
....डॉ विनोद शर्मा बीसीएमओ शाहपुरा।
Published on:
15 Dec 2019 09:49 am
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