इस वृद्धाश्रम में सिर्फ महिलाएं हैं, लेकिन श्याम बाई और साधूराम ने अंतिम सांस तक साथ साथ रहने की कसम खाते हुए अलग रहने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों को आड़ावाल में सुरेन्द्र चालकी द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में भेजा गया, जहां वे खुशी से जीवन बीता रहे हैं। उनका कहना है कि अब यहीं से हमारी अर्थी उठेगी।