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पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य पाने 16 श्रृंगार कर वट वृक्ष के नीचे पहुंची महिलाएं …

- शहर से लेकर गांव तक हुई वट सावित्री पूजा...16 श्रृंगार कर मंदिर पहुंची महिलाएं।

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पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य पाने 16 श्रृंगार कर वट वृक्ष के नीचे पहुंची महिलाएं ...

पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य पाने 16 श्रृंगार कर वट वृक्ष के नीचे पहुंची महिलाएं ...

जगदलपुर/ बस्तर. पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने मंगलवार को वट सावित्री की पूजा की। शहर से लेकर गांव तक सभी जगह महिलाएं बरगद की पूजा करती नजर आर्इं। सुबह से ही महिलाओं ने उपवास कर पहले अपने घरों में पूजा किया इसके बाद सभी सुहागन महिलाओं ने बरगद के पेड़ में पीला धागा बांध अपने पति की लंबी उम्र की कामना की। महिलाएं 16 श्रृंगार कर पूजन सामग्री बांस का पंखा, लाल या पीला धागा, धूपबत्ती, फूल, जल से भरा पात्र, सिंदूर, लाल कपड़ा आदि के साथ अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने बरगद पेड़ तक पहुंची। एेसा माना जाता है कि ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत मनाया जाता है। पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य पाने के लिए शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को रखती है। इसके साथ ही संतान की प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है।

एक-दूसरे को भेंट की 16 शृंगार सामग्री
महिलाओं ने पूजन के बाद एक-दूसरे को 16 श्रंृगार सामग्री भेट की। महिलाओं ने एक-दूसरे को पीला धागा भी बांधा। इसके बाद सभी ने मिलकर बरगद पेड़ के नीचे बैठकर भजन कीर्तन भी किया। इस मौके पर मंदिरों व बाग बगीचों में भी महिलाओं की भीड़ नजर आती रही।

इसलिए की जाती है वट सावित्री व्रत पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इस कारण से एेसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है उसके पति पर आनेवाले सभी संकट इस पूजन से दूर होते है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती है। एेसा पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है।वट सावित्री व्रत में वट और सावित्री का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल या बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास होता है।

शनिदेव को प्रसन्न करने केसर-चंदन का चढ़ावा
शनि जयंती के दिन मंगलवार को चित्रकोट मार्ग स्थित शनि मंदिर से लेकर पीपल के पेड़ की पूजा करने श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर में केसर, चंदन, चावल, फूल के साथ पूजा करते नजर आए। इसके बाद श्रद्धालुओं ने तिल व सरसो के तेल का दीपक जलाया। श्रद्धालु शनि जयंती पर व्रत के साथ-साथ गरीबों को काले कपड़े, उड़द की दाल,चावल, तिल, लोहा, सरसों का तेल दान करते नजर आए। इस मौके पर कई मंंदिरों में पूजा अर्चना का कार्यक्रम जारी रहा।