रेणु अवस्थी/जगदलपुर . प्रवीर वार्ड खड़कघाट में रहने वाली सोनी कश्यप पिछले 17 साल से अपने बेटे के चल पाने की आस में जी रही है। उनका कहना है कि मेरे बेटो की तरह ही प्रशासन गूंगा और बहरा हो गया है। दरअसल सोनी पति सोना सिंह कश्यप के तीन बेटे है जिनमें से दो बेटे दिव्यांग है जिसके चलते वह और उनके पति हमेशा परेशान रहते है। पति आटो चालक हैं उनकी सीमित आय परिवार के भरणपोषण के लिए ही नाकाफी है उस पर दिव्यांगता अभिशाप बन गई है।
बेटे के लिए व्हीलचेयर चाहती है
सोनी का बड़ा बेटा अविनाश 17 साल का है। बचपन से ही उसके दोनो पैर खराब है। चलने फिरने में नाकाबिल होने की वजह से उसका स्कूल जा पाना नामुमकिन है। सोनी ने कहा कि वह अपने बेटे के लिए व्हीलचेयर चाहती है, जिसके लिए उन्होंने एक साल पहले फार्म भी भरा है। आवेदन देने के बावजूद उसे अब तक व्हीलचेयर नहीं मिला है।
पहले बस की थी सुविधा बाद में वह भी बंद
दूसरे बेटे समीन की उम्र 12 साल है। वह भी जन्मजात मूक है। समीर श्रवण व मुख बघिर स्कूल में पढ़ रहा है। कुछ समय तक स्कूल की बस की सुविधा मिली थी। धीरे- धीरे बस का आना बंद हो गया। समीर अपने घर से दो किलोमीटर दूर दलपत सागर तक पैदल चलकर जाते है। सोनी का कहना है समीर को उतनी दूर तक पैदल भेजने में डर लगता है। वह अपने पांच लोगों के परिवार के साथ दो कमरे के मक न में रहती है उन्हें प्रशासन से मदद चाहिए ताकि उनके दोनों बच्चे अच्छी पढ़ाई कर अपना जीवन बीता सके।
हमने उनसे फॉर्म जमा करने के लिए कहा था, पर अब मै खूद उनकी मदद के लिए आगे आकर प्रशासन से मांग करूंगा। स्कूल बस को भी मैने उनके घर तक जाने के लिए कहा था आगर बस उनके घर तक बच्चे को लेने के लिए नहीं जा रही है तो मै फिर से कहूंगा।
संजू बाफना, पार्षद