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अंतत: पुरातत्व विभाग ने खोज लिया कल्पवृक्ष

मुण्डेरवा चीनी मिल के अंदर स्थापित है यह वृक्ष, दूर- दूर से इसे देखने आए लोगों की भीड़ उमड़ी

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Varanasi Uttar Pradesh

Jun 11, 2016

Kalpavriksha

Kalpavriksha

बस्ती. पुरातत्व विभाग ने देवताओं के वास वाले एक अद्भुत कल्पवृक्ष की खोज की है, जो बस्ती के सालों पहले बंद हो चुकी मुण्डेरवा चीनी मिल के अंदर स्थापित है। दूर-दूर से इस वृक्ष के प्रति लोगों में आस्था है और वो यहां आकर मिन्नतें मांगते हैं व पूजा पाठ भी करते हैं। चीनी मिल परिसर में मौजूद 50 वर्ष पुराने इस वृक्ष के कल्पतरू होने की पुष्टि हो चुकी है।

इसकी पुष्टि के लिये राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान केन्द्र लखनउ के वैज्ञानिकों की टीम ने जांच पड़ताल कर की और उन्होंने प्रथम दृष्टया इसे इच्छित फल देने वाला अद्भुत वृक्ष माना, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की। इस टीम ने बताया कि इसकी अभी कुछ जांच लखनउ लैब में करने के बाद ही इसकी आधिकारिक घोषणा होगी, कि देश का यह नौंवा कल्पतरू वृक्ष है।

टीम ने इस अद्भुत वृक्ष की जांच करने के बाद इस वृक्ष के पत्ते व टहनियां लेकर लौट गई। गौरतलब है कि इस वृक्ष को कल्पतरू मानकर श्रद्वालु यहां पूजा करते हैं। इस वृक्ष की विलक्षणता को लेकर कुछ लोगो ने सांसद हरीष द्विवेदी को पत्र लिखकर वैज्ञानिकों से इसके बारे में सही तथ्य पता लगाने की मांग की थी। पुराणों में विदित है कि देवताओं के युग में इस वृक्ष का वर्णन हुआ करता था और जहां-जहां भी यह वृक्ष है, वहां इसकी महत्ता भी अद्भुत है।

माना जाता है कि कल्पतरू वृक्ष में सभी देवताओं का वास होता है और यहां आने से मनुष्य के दुख दर्द दूर हो जाते हैं। मुण्डेरवा का यह अनोखा पेड़ प्रदेश का पांचवा कल्पतरू वृक्ष बन गया है। आस-पास के कुछ बुजुगौ ने पूछने पर बताया
कि लगभग 50 साल पहले एक शख्स ने इस पेड़ को कहीं से लाकर यहां पर लगाया था, जिसके बाद पेड़ लगाने वाले शख्स गायब हो गए और किसी ने इस वृक्ष पर पीला वस्त्र बांध दिया, तब से यहां पर लोगो की आस्था बढ़ने लगी और लोग पूजा, कथा सहित तमाम भक्ति कार्यों का आयोजन करते आ रहे हैं।

मान्यता है कि कल्पवृक्ष का वर्णन महाभारत काल में आता है, ऐसा माना जाता है कि यह वृक्ष मनवांछित फल देने वाला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम एडनोसिया डिजीडाटा है। यह काफी दुर्लभ व संरक्षित प्रजाति का पेड़ है, जो अब धरती पर नहीं उगता है।

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