
बेमेतरा . तुरतूतिया कुंड शंभूपुरी मरका पड़कीडीह में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। यज्ञ स्थल सीताराम राधाकृष्ण मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर मड़ई मेला का भव्य आयोजन किया जाएगा। अंचल के झेरिया यादव समाज द्वारा महाशिवरात्रि पर्व पर यहां विगत 28 वर्षों से मड़ई मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें जिलेभर के लोग शामिल होते हैं। आयोजक फिरंता राम यादव ने बताया कि 13 फरवरी प्रारंभ श्रीमद् भागवत कथा में 20 फरवरी को परीक्षित मोक्ष, 21 फरवरी को गीता, तुलसी वर्षा व मड़ई मेला का आयोजन किया जाएगा।
हिन्दुओं के 18 पुराणों में से एक है श्रीमद् भागवत
श्रीमद् भागवत कथा में रामस्वरूप पांडेय श्रोताओं को कथा सुनाते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत हिन्दुओं के 18 पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भावगत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं।
संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है प्राणी
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है। सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करना चाहिए।
निरंतर हरि स्मरण कर आत्म कल्याण करें
पंडित रामस्वरूपचार्य ने कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन में, व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण वं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।
Published on:
19 Feb 2020 10:14 pm
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