
भक्ति का सबसे उत्तम समय है युवा अवस्था
बेमेतरा . ग्राम खम्हरिया में हर साल की इस साल भी पूर्वजों की स्मृति में 'पुरखा के सुरता' का आयोजन हो रहा है। इस वर्ष पूर्वजों की याद में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ आयोजित है। 11 फरवरी से 18 फरवरी तक आयोजित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के पुरखों के साथ दीवान और पाण्डेय परिवार अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
स्वयं में शक्ति के रहते ही करनी चाहिए भक्ति
कथा वाचक पं. नंदकुमार चौबे ने तीसरे दिन की कथा में ध्रुव चरित्र, अजामिल उपाख्यान, प्रहलाद चरित्र और गजेन्द्र मोक्ष पर प्रवचन देते हुए कहा कि भगवान की भक्ति का सबसे उत्तम समय युवावस्था है। भक्ति हमेशा स्वयं में शक्ति के रहते ही करनी चाहिए। बुढ़ापे में हम दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। हम असहाय हो जाते हैं। भगवान की आराधना स्वयं की मेहनत और पूंजी के अनुकूल करनी चाहिए। अगर हम अपने जीवन को सही दिशा देना चाहते हैं, तो हमे भक्ति मार्ग से गुजरना ही होगा।
2015 में हुई थी 'पुरखा के सुरताÓ की शुरुआत
इस मौके पर पं. चौबे ने बताया कि यह आयोजन अपने आप मे गांव ही नहीं राज्य और देश एक अनूठा आयोजन है। मुझे खुशी मैं इस आयोजन में पहले वर्ष ही जुड़ा हूं। 2015 में प्रथम वर्ष 'पुरखा के सुरता' नाम से पूर्वजों की याद में इस आयोजन की शुरुआत हुई थी, तब पं. शिवनारायण पांडेय और रविन्द्रधर दीवान परिवार के संयुक्त आयोजन में कई परिवारों ने अपने पुरखों के नाम से वृक्ष लगाएं थे। इसके साथ ही तीन दिवसीय हनुमान यज्ञ भी किया गया था। इसके बाद से निरंतर हर वर्ष अलग-अलग रूप में यह आयोजन जारी है।
18 फरवरी को सहस्त्रधारा के साथ होगा यज्ञ का समापन
पं. चौबे ने कहा कि इस वर्ष श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान का आयोजन हो रहा है। 11 फरवरी से 13 फरवरी तक राजा परीक्षित कथा से लेकर वाराह अवतार, कपिल चरित्र, ध्रुव चरित्र, अजामिल उपाख्यान, प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष की कथा सम्पन्न हो चुका है। 14 फरवरी को वामन प्रसंग, राम जन्म और कृष्ण जन्म की कथा सुनाई जाएगी। 15 फरवरी को रूखमणी विवाह है। वहीं 18 फरवरी को सहस्त्रधारा के साथ यज्ञ का समापन होगा।
छत्तीसगढ़ के गौरव रहे पूर्वजों को करते हैं याद
पं. चौबे ने कहा कि यह अत्यंत गौरव का विषय है कि आज जब संयुक्त परिवार टूटते जा रहा था, वैसे में संयुक्त रूप से दो परिवार के सदस्य पूर्वजों की याद में लगातार पांच वर्षों से कोई न कोई आयोजन कर रहे हैं, यह वाकई अद्भुत है। यहीं नहीं इस आयोजन की सबसे अच्छी बात ये भी कि इसमें किसी तरह कोई धर्म-जाति का बंधन नहीं होता है। भले ही यह दो परिवारों का संयुक्त आयोजन है, लेकिन इसमें हर समाज का जुड़ाव होता है। उन पुरखों को भी याद किया जाता जो छत्तीसगढ़ के गौरव हैं। वास्तव ऐसे आयोजन हर गांव में होने चाहिए।
Published on:
13 Feb 2020 11:02 pm
बड़ी खबरें
View Allबेमेतरा
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
