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कोलकर्मियों ने कहा- नो यूनियन, तीन घंटे चला प्रदर्शन, सदस्यता नहीं लेने का भी लिया संकल्प

कोलकर्मी वेतन से कटौती का कर रहे विरोध, दूसरे दिन भी जारी रहा प्रदर्शन

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बेतुल

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Pradeep Sahu

Sep 14, 2018

kolkarmi

कोलकर्मियों ने कहा- नो यूनियन, तीन घंटे चला प्रदर्शन, सदस्यता नहीं लेने का भी लिया संकल्प

सारनी. वेकोलि की खदानों पर दूसरे दिन भी मेडिकेयर स्किम और पेंशन फंड के लिए वेतन राशि कटौती के विरोध में प्रदर्शन जारी रहा। प्रथम पाली के कोल कर्मियों ने तवा-2 खदान के मुहाने पर द्वार सभा कर जमकर प्रदर्शन किया। खास बात यह रही कि मजदूरों ने किसी भी श्रम संगठन के नेता को मंच पर आने नहीं दिया और नो यूनियन के नारे लगाए। मजदूरों को संगठित देख कुछ नेताओं ने मंच पर आकर समझाइश देने का प्रयास किया, लेकिन कोल कर्मियों ने इसका विरोध कर दिया। इसके बाद सभी श्रम संघ के नेता एक तरफ खड़े हो गए। इस दौरान कोल प्रबंधन, श्रमिक संगठन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सुबह 8 से 11 बजे तक प्रदर्शन का दौर जारी रहा। कोल कर्मियों ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि तवा-टू खदान के चैन सिंह की मृत्यु हो गई है। उसके खाते सभी रुपए की कटौती कर ली गई। इसी तरह बिना सहमति जाहिर किए वेतन से राशि कटौती करना न्याय संगत नहीं है। कोल प्रबंधन कुछ नेताओं को अपने साथ में लेकर मजदूरों के हक, अधिकार छीनना चाह रही है जो हम होने नहीं देंगे।
कटौती रोकना हमारे बस में नहीं : प्रबंधन की ओर से एपीएम राजेश नायर ने मजदूरों के बीच आकर कहा कटौती रोकना हमारे बस की बात नहीं है। ये कोल इंडिया स्तर का मामला है। आपकी बात मैं उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का प्रयास करूंगा। प्रबंधन की ओर से अधिकारियों द्वारा समझाइश के बाद भी प्रदर्शन जारी रहा। प्रबंधन की मजदूरों ने नहीं सुनी और प्रदर्शन करते रहे। रोज-रोज हो रहे प्रदर्शन से कोयला उत्पादन पर विपरीत असर पड़ रहा है।

श्रम संगठनों की मुश्किलें बढ़ी - वेतन निर्धारण को लेकर गठित कमेटी में बीएमएस, एचएमएस, एटक और सीटू यूनियन को शामिल किया गया था। जबकि इंटक यूनियन को विवाद की वजह से जेबीसीसीआई से बाहर रखा गया था। वेतन निर्धारण होने पर कमेटी में शामिल कुछ संगठनों ने विरोध किया तो कुछ संगठनों ने अब तक का सबसे बेहतर वेतन निर्धारण बताया था, लेकिन जब कामगारों के वेतन से कटौती शुरू हुई तो कामगारों में विवाद बढऩे लगा। परिणाम स्वरूप तीन दिनों से पाथाखेड़ा क्षेत्र की खदानों पर मजदूर आक्रोशित होकर आंदोलन करने पर उतारू है। वहीं संगठन के नेता मौन है।